हीरेन्द्र एस राठौड़ बाजारीकरण के दौर में हुस्न विज्ञापन का पर्याय बन गया है। सामान चाहे रसोई के काम का हो या फिर मर्दों के परफ्यूम का। गर्म कपड़ों का हो या फिर मच्छर और कीड़ों को मारने वाले रसायनों का। हर जगह हुस्न और अदाओं का उपयोग किया जाता है। यही कारण है कि प्रगति मैदान में चल रहा ऑटो एक्सपो भी इससे अछूता नहीं रहा।
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मीडिया के मंझे हुए फोटोग्राफरों के साथ दर्शकों के रूप में आने वाले शौकिया फोटोग्राफरों के कैमरों की चमकती फ्लैश लाइटों के बीच आकर्षक मुद्राओं में फोटो खिंचवाती मॉडल लड़कियां प्रगति मैदान के लगभग हर मंडप में दिखाई दे रही हैं। कई कंपनियों द्वारा स्टेज कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। इनसे न केवल दर्शकों का मनोरंजन हो रहा है बल्कि खूबसूरत हुस्न की अदाओं का दीदार भी हो रहा है।
ऑटो एक्सपो में एक ओर नई-नई कारें और मोटर साइकिल लोगों को लुभा रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन मंडपों में हुस्न का जलवा बिखरा पड़ा है। आकर्षक कपड़ों में गोरी और सांवली मॉडल बालाएं अपनी मादक मुस्कानों से दर्शकों का स्वागत कर रही हैं। यहां आने वाले दर्शक भी इसका जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। युवा ही नहीं उम्रदराज लोग भी इन जलवों का आनंद ले रहे हैं।
ऑटो एक्सपो के लिए प्रगति मैदान की केवल जमीन का किराया ही 30 करोड़ से ऊपर बैठ है। इसके बावजूद कार और बाइक निर्माता कंपनियों ने अपने मंडपों को आधुनिक ढंग से सजाने के साथ ही मॉडल बालाओं पर जमकर खर्च किया है। कई कंपनियों ने मॉडल के रूप में रूस और जापान की गोरी-चिट्टी लड़कियों को तरजीह दी है तो कुछ भारतीय मॉडलों से ही काम चला रही हैं।
मारुति, हुंडई, टाटा, बीएमडब्ल्यू, जनरल मोटर्स, फिएट, मर्सडीज बेंज, वॉक्सवैगन सहित दूसरी कार निर्माता कंपनियों और बजाज, हीरो होंडा, होंडा, यामाहा, टीवीएस सहित सभी दोपहिया बनाने वाली कंपनियों के स्टॉल मॉडल लड़कियों से भरे पड़े हैं।