शरद पवार का कांग्रेस नेतृत्व पर हमला...

सोमवार, 9 दिसंबर 2013 (20:21 IST)
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नई दिल्ली। चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व पर करारा प्रहार करते हुए संप्रग के सहयोगी दल राकांपा के मुखिया शरद पवार ने सोमवार को कहा कि लोग कमजोर शासक नहीं चाहते बल्कि दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह ‘मजबूत और निर्णायक’ नेता चाहते हैं और युवाओं ने अपने मतों के जरिए अपने गुस्से का इजहार किया है।

विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का आधार काफी सिमटने पर गौर करते हुए उन्होंने कहा कि चुनावों ने सवाल खड़े किए हैं जिस पर न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि हम सबको गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। पवार संप्रग के पहले नेता हैं, जिन्होंने चार राज्यों में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद अपने मन की बात सामने रखी है।

पवार ने एक वक्तव्य में कहा कि लोग मजबूत, निर्णायक और परिणामोन्मुख नेता चाहते हैं। वे कमजोर शासक नहीं चाहते बल्कि ऐसा नेता चाहते हैं, जो गरीबों के लिए नीतियां और कार्यक्रम तैयार करे और उसे दृढ़ता के साथ लागू करे।

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उन्होंने कहा कि युवाओं ने इस चुनाव में बड़ी भूमिका अदा की जिसकी वजह से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। नई पीढ़ी ने मतों के जरिए अपने गुस्से का स्पष्ट संकेत दे दिया है। उन्होंने कहा कि वे ऐसा नेता चाहते हैं, जो अपने रुख और नीतियों के बारे में निर्णायक हो, जो लोगों को लाभान्वित करे और इस तरह की नीतियों को शुरू करने में नहीं हिचकिचाए।

पवार ने आगाह किया कि जब शासकों में इस तरह के आत्मविश्वास का अभाव होता है तो सत्ता के अन्य केंद्रों के पैदा होने की संभावना हो जाती है। यह विधानसभा चुनावों के नतीजे से बड़ा सबक है। विभिन्न स्तरों पर कुछ समय से कमजोर नेतृत्व के कारण ‘छद्म कार्यकर्ताओं’ की एक भीड़ जमा हो गई है, जिनका जमीनी हकीकतों से कोई लेना-देना नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि न सिर्फ मीडिया बल्कि सरकार में भी लोग इन लोगों से प्रभावित हो जाते हैं। वे गैर यथार्थवादी विचारों के साथ आते हैं और ऐसी धारणा पैदा की जाती है कि वे जनता की भावनाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो सही नहीं है।

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73 वर्षीय मराठा नेता ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट है कि राकांपा प्रमुख संप्रग का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के बारे में अपनी राय जाहिर कर रहे थे। पवार ने 1999 में कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया था।

उन्होंने जोर दिया कि जब भी मजबूत और निर्णायक नेतृत्व होता है तो इस तरह की शक्तियां सामने नहीं आती हैं। उन्होंने कहा कि दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण लें। वे मजबूत और निर्णायक थीं। उन्होंने बैंकों के राष्ट्रीयकरण या प्रिवीपर्स को खत्म करने जैसे साहसिक फैसले किए जिसे उन्होंने दृढ़ता के साथ लागू किया।

कांग्रेस में मुफ्त सलाहकारों का दबदबा...अगले पन्ने पर..


पवार ने कहा कि इंदिरा गांधी के समय में वैसे तत्वों जिनका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं था वे कभी सामने नहीं आए। उन्होंने कहा मौजूदा समय के विपरीत लोगों का समूचा वर्ग जो हमेशा हर मामले पर अपनी मुफ्त की सलाह देने का इच्छुक रहता है, वे उस समय अनुपस्थित थे।

उन्होंने कहा इन मुफ्त के सलाहकारों का इस तरह दबदबा है कि मीडिया के लोगों के साथ-साथ सरकार उनका शिकार बन जाती है और यह मानने लगती है कि इन सलाहकारों की राय जनता की राय है। हमें इस बारे में भी सोचने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि नए मतदाताओं ने इन चुनावों में बड़ी भूमिका निभाई। वे बदलाव चाहते हैं और जिन दलों में बदलाव लाने की क्षमता है उन्हें निर्वाचित किया गया है। यह राजस्थान और दिल्ली दोनों के मामले में दिखाई पड़ा है। राष्ट्रीय राजधानी के चुनावों की बात करते हुए राकांपा प्रमुख ने आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधा जिसने भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली का वादा करते हुए प्रचार किया था।

उन्होंने कहा लेकिन उसी वर्ग के लोग जिन्होंने अवैध कॉलोनियां बनाईं वे चाहते हैं कि उसे वैध बनाया जाए। एक तरफ उसी वर्ग के लोग प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं और भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली के ‘आप’ के आह्वान पर मतदान कर रहे हैं और दूसरी तरफ वे मांग कर रहे हैं कि अवैध कॉलोनियों को वैध बनाया जाए। आप दिल्ली में इस तरह का विरोधाभास पाएंगे।

प्याज की कीमत कम करना आसान नहीं...आगे पढ़ें..


पवार ने आश्चर्य जताया कि अरविंद केजरीवाल इन गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों से क्या कह रहे थे। पवार ने कहा, उन्होंने (अरविंद केजरीवाल) कहा कि वह सत्ता में आने पर प्याज की कीमतों को आधा कर देंगे। यह कहना आसान है और करना मुश्किल। राज्य इन कीमतों पर नियंत्रण नहीं कर सकते हैं क्योंकि वे मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती हैं जो बहुत हद तक परिस्थितियों यथा सूखा, पानी की उपलब्धता आदि पर निर्भर है।

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त जब प्याज और अन्य कृषि उत्पादों की कीमतें गिरती हैं वही किसान प्रभावित होता है लेकिन दिल्ली के नागरिक तब भी सस्ता प्याज चाहते हैं। पवार ने राष्ट्रीय राजधानी को बहुत लाड़-प्यार वाला :पैंपर्ड: शहर बताया।

उन्होंने कहा यद्यपि आप को इस तरह के प्रचार अभियान से फायदा हुआ है, लेकिन आज हमारे सामने ऐसी स्थिति है कि कोई भी पार्टी दिल्ली में सरकार नहीं बना सकती है।

पवार ने कहा अगर आप सत्ता में आती है तो मैं उन्हें प्याज, सब्जी और बिजली की कीमतों में कमी लाते देखना चाहूंगा। सिर्फ तभी जनता उनके प्रचार अभियान के बारे में सच्चाई जानेगी क्योंकि इन कीमतों पर राज्यों का कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता अपनी लोक उन्मुख नीतियों के बारे में आश्वस्त और निर्णायक है तो उसे इस तरह के सत्ता के नए केंद्रों के समक्ष दावा नहीं करना होगा। (भाषा)

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