छत्तीसगढ़ में हारे हुए नेताओं की नजर लोकसभा सीटों पर

रवि भोई

सोमवार, 17 फ़रवरी 2014 (17:22 IST)
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटों के लिए कांग्रेस व भाजपा दोनों पार्टियों की तरफ से विधानसभा चुनाव में पराजित उम्मीदवार ज्यादा दावेदारी कर रहे हैं। दोनों पार्टियों की तरफ से प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

लोकसभा के लिए प्रत्याशी चयन पर विचार-विमर्श करने के लिए शनिवार रात को मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह, राष्ट्रीय संगठन मत्री सौदानसिंह व प्रदेश संगठन मंत्री रामप्रतापसिंह की बंद कमरे में बैठक हुई। कांग्रेस नेताओं की बैठक सोमवार को नई दिल्ली में होगी। बैठक में पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल व नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव भी शामिल होंगे।

राज्य के अलग-अलग लोकसभा सीटों के लिए दावेदारी करने वालों में अधिकांश पिछला विधानसभा या फिर पहले लोकसभा व विधानसभा चुनाव हारने वाले लोग हैं। रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस से मोहम्मद अकबर सशक्त दावेदार हैं।

वैसे यहां से रायपुर ग्रामीण के विधायक सत्यनारायण शर्मा का भी नाम है। इसके अलावा एक-दो नए नाम भी सामने आए हैं। अकबर 2013 का विधानसभा चुनाव कवर्धा सीट से हारे हुए हैं।

अकबर छत्तीसगढ़ के तेज-तर्रार मुस्लिम नेता माने जाते हैं। इसके अलावा विधानसभा में उनका परफॉर्मेंस काफी अच्छा रहा है। पिछले कार्यकाल में उन्होंने कई बार सरकार को घेरा भी। दुर्ग लोकसभा सीट से कांग्रेस रवीन्द्र चौबे व ताम्रध्वज साहू दावेदार हैं। दोनों नेता भी पिछला चुनाव हार चुके हैं।

सरगुजा लोकसभा के लिए कांग्रेस नेता डॉ. प्रेमसायसिंह व रामदेव राम ने दावेदारी की है। इनमें डॉ. सिंह पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। रायगढ़ सीट के लिए चनेशराम राठिया व हृदयराम राठिया ने दावा पेश किया है। हृदयराम राठिया दिसंबर 2013 का विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। चनेशराम राठिया 2003 में विधानसभा चुनाव हार गए थे, उसके बाद उन्हें टिकट नहीं मिली।

भाजपा में भी विधानसभा चुनाव हारे नेता लोकसभा का टिकट मांग रहे हैं। इनमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक बिलासपुर, पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर कोरबा, पूर्व पंचायत मंत्री रामविचार नेताम सरगुजा व पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू महासमुंद सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। इनमें कुछ ने अपने क्षेत्र में जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है।

छत्तीसगढ़ में पिछली बार भाजपा ने 11 में 10 सीटें जीती थीं। अभी बिलासपुर व सरगुजा सीट खाली हैं। बिलासपुर से दिलीपसिंह जूदेव व सरगुजा से मुरारीलालसिंह सांसद थे। कोरबा सीट से पिछली बार चुनाव लड़ीं करुणा शुक्ला ने पार्टी छोड़ दी है।

वैसे पार्टी हारे हुए किसी नेता को लोकसभा उम्मीदवार बनाने के पक्ष में नहीं है, लेकिन बिलासपुर, कोरबा व सरगुजा जैसे स्थानों पर उसके पास कोई दमदार नेता भी नहीं है।

सरगुजा में पूर्व सांसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह की तबीयत ठीक नहीं है। वहां रामविचार के अलावा राज्यसभा सदस्य नंदकुमार साय का नाम है। बिलासपुर व कोरबा के लिए अभी तक कोई नाम सामने नहीं आया है।

पहले रणविजयसिंह जूदेव का नाम दोनों सीटों के लिए चल रहा था, लेकिन उनके राज्यसभा में चले जाने के बाद से कोई नया नाम सामने नहीं आया है।

जांजगीर सीट से अभी कमला पाटले सांसद हैं, लेकिन पार्टी उन्हें बदलने की सोच रही है। महासमुंद से चंदूलाल साहू सांसद हैं, लेकिन वहां से चंद्रद्रोखर साहू की दावेदारी से मामला रोचक हो गया है।

दुर्ग से सांसद सरोज पाण्डे, रायगढ़ से सांसद विष्णुदेव साय, रायपुर से सांसद रमेश बैस, बस्तर से दिनेश कश्यप, राजनांदगांव से मधुसूदन यादव का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।

कांकेर सीट से सांसद सोहन पोटाई की उम्मीदवारी अभी संशय में है। कांग्रेस में कोरबा सीट से डॉ. चरणदास महंत की उम्मीदवारी तय है। अजीत जोगी को बिलासपुर से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

पिछली बार वहां से रेणु जोगी चुनाव लड़ीं थीं। महासमुंद से विद्याचरण शुक्ल की बेटी प्रतिभा पांडे दावेदारी कर रही हैं। प्रतिभा को टिकट देने के बारे में अंतिम निर्णय कांग्रेस हाईकमान को करना है।

अन्य सीटों के बारे में 17 फरवरी की बैठक में प्रारंभिक चर्चा हो जाएगी। दोनों दल लोकसभा में कई स्थानों पर नए चेहरे उतारने के मूड़ में हैं, लेकिन यह राजनीतिक समीकरण पर निर्भर करेगा।

छत्तीसगढ़ में दोनों दलों ने लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। दोनों दल अधिकतम सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।

वैसे विधानसभा चुनाव का नतीजा देखें तो यहां पर भाजपा का पलड़ा भारी है। छत्तीसगढ़ में बसपा व आम आदमी पार्टी का खास प्रभाव नहीं रहने वाला है। मुकाबला कांग्रेस व भाजपा में ही होने वाला है।

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