ऑनलाइन सर्वेक्षण एजेंसी से ज्यादा भरोसेमंद

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नई दिल्ली। अगर मतदाताओं के बीच किए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण के नतीजों की मानें तो आगामी लोकसभा चुनाव में बिजली-पानी कोई मुद्दा नहीं है, जबकि सबसे बड़ा मसला भ्रष्टाचार है। मुद्रास्फीति और बढ़ते अपराध के लिए भी आम जनता आगामी चुनाव में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों को सबक सिखा सकती है।

ऑनलाइन सर्वेक्षण करने वाले पोर्टल ई-चुनाव ने अपने उपयोगकर्ताओं से इस साल के लोकसभा चुनाव के लिए सबसे बड़ा मुद्दा संबंधी सवाल पूछा था। पोर्टल ने इस सवाल के लिए पांच विकल्प उपलब्ध कराए थे।

पोर्टल के करीब 47 फीसद यूजर्स ने भ्रष्टाचार को इस चुनाव का सबसे बड़ा मसला बताया, जबकि करीब 20 प्रतिशत ने महंगाई, 27 प्रतिशत ने बढ़ते अपराध और 7 प्रतिशत ने बेरोजगारी को 2014 के लोकसभा चुनाव का प्रमुख मुद्दा बताया।

ऑनलाइन सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वालों में 7 प्रतिशत महिलाएं और 93 प्रतिशत पुरुष शामिल हैं। सर्वेक्षण में करीब 70 प्रतिशत एकल व्यक्तियों ने भागीदारी की, जबकि विवाहित व्यक्तियों का प्रतिशत 30 रहा।

चुनाव पूर्व सर्वेक्षण एवं ओपिनियन पोल के आंकड़ों में धन लेकर फेरबदल करने के लिए मचे घमासान पर ई-चुनाव की उत्पाद प्रमुख मालिनी दास ने कहा कि किसी भी ऑनलाइन सर्वेक्षण में इस प्रकार की गुंजाइश नहीं होती है।

यह पोर्टल से जुड़े लोगों के बीच पहुंचकर सीधे आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। सभी व्यक्ति वास्तविक होंगे या नहीं के सवाल पर उन्होंने बताया कि पोर्टल के उपयोग के लिए व्यक्ति को अपनी मेल-आईडी के जरिए अपनी पहचान सत्यापित करनी होती है। इसलिए इसमें पैसे लेकर आंकड़े बदलने अथवा किसी के प्रभाव में कोई परिवर्तन करने जैसे कयास बेबुनियाद हैं।

इसी प्रकार अरविन्द केजरीवाल द्वारा लगातार केंद्र सरकार का विरोध एवं धरना-प्रदर्शन के सवाल पर करीब 17 प्रतिशत का मानना है कि उनकी इस प्रकार की क्रियाएं प्रभावशाली एवं स्वराज के प्रति अग्रगामी हैं, जबकि करीब 83 प्रतिशत व्यक्तियों को लगता है कि यह लोकप्रियता और अपने स्वार्थों के लिए बनाई गई आम आदमी पार्टी की रणनीति का हिस्सा है। इस सर्वेक्षण में 67 प्रतिशत महिलाओं ने हिस्सा लिया, जबकि पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत 33 रहा।

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