रिकॉर्ड बनाओ हिंदुस्तान...

16वीं लोकसभा के गठन के लिए देशभर में 9 चरणों की लंबी प्रक्रिया अब आखिरी पायदान पर आ गई है और सोमवार को 41 लोकसभा सीटों पर अंतिम मतदान हो रहा है। अब तक हुए आठ चरणों में देश के जागरूक मतदाताओं ने जिस उत्साह के साथ अपने मत का उपयोग किया और अंतिम चरण में भी अगर भारी मतदान हो जाता है तो संभव है कि 1984 के लोकसभा चुनाव का रिकॉर्ड (64.01 प्रतिशत) खंडित हो जाए।

उल्लेखनीय है कि इस चुनाव के आठ चरणों में मतदान का प्रतिशत पहले ही 64 फीसदी को पार कर चुका है। यदि मतदान को लेकर यही रुझान आखिरी चरण में भी रहा तो न सिर्फ 1984 का रिकॉर्ड टूटेगा बल्कि आने वाले समय के लिए यह सुखद संकेत भी होगा।
FILE

1952 से देश में आम चुनाव की शुरुआत हुई लेकिन 1984 में जो कीर्तिमान बना था, उसके इस बार टूटने के कयास लगने शुरू हो चुके हैं। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस के प्रति उपजी सहानुभूति की लहर में रेकॉर्ड 64.01 मतदान हुआ था। तब लोकसभा की 533 सीटों में से कांग्रेस को 414 सीटों पर कामयाबी मिली थी।

2009 के आम चुनाव में 58.19 प्रतिशत मतदान हुआ था लेकिन लगता है कि 2014 के चुनाव में जिस तरह से मतदान के प्रति जागरुकता आई है, वह 1984 के कीर्तिमान को ध्वस्त कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

सोमवार के दिन नौंवे और अंतिम चरण में तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और बिहार में 41 लोकसभा सीटों पर मतदान होने जा रहा है। नौंवें चरण में करीब 9 करोड़ मतदाता 606 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला करेंगे।

पश्चिम बंगाल में 17 लोकसभा सीटों बहरामपुर, कृष्‍णनगर, राणाघाट, बनगांव, बैरकपुर, दमदम, बारासाट, बसीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जाधवपुर, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्‍तर, तामलुक, कांथी और घाटल पर मतदान होगा।

उत्तरप्रदेश में 18 लोकसभा सीटों डुमरियागंज, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशी नगर, देवरिया, बांसगांव, लालगंज, आजमगढ़ , घोसी, सलेमपुर, बलिया, जौनपुर, मछलीशहर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज पर मत डाले जाएंगे।

बिहार में 6 लोकसभा सीटों वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, वैशाली, गोपालगंज और सिवान पर मतदान होगा।

अंतिम चरण में ये हैं धुरंधर, जिन पर निगाहें रहेंगी...अगले पन्ने पर पढ़ें


नौंवे चरण में जिन सीटों पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं, वे हैं वारणसी, आजमगढ़, गोरखपुर, घोसी, डुमरियागंज, दमदम और बारासात। इनमें सबसे हॉट सीट वाराणसी की है, जिस पर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। वाराणसी में हर तरफ मोदी के दीवानों का सैलाब उमड़ रहा है।

दूसरी ओर आप के संयोजक, अरविंद केजरीवाल ने भी यह सीट चुनकर मोदी को चुनौती दी है। देशभर में तमाम विरोध और समर्थन के बीच मोदी-केजरीवाल का मुकाबला काफी दिलचस्प होगा। यहां से कांग्रेस के अजय राय, बसपा के विजय प्रकाश जायसवाल, सपा के कैलाश चौरसिया सहित बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में हैं। वैसे, वर्तमान में यह सीट भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी के अधिकार में है लेकिन भाजपा ने उन्हें कानपुर से मैदान में उतारा है।

आजमगढ़ से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह मैदान में हैं। वर्तमान में आजमगढ़ लोकसभा सीट भाजपा के रमाकांत यादव के पास है। भाजपा ने यहां से इस बार भी रमाकांत को ही उतारा है। कांग्रेस से अरविंद जायसवाल, आप से राजेश यादव, बसपा से शाह आलम आदि भी लोहा ले रहे हैं।

गोरखपुर लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ हैं। आदित्यनाथ का इस सीट पर एकछत्र राज है। वे प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं और उन्होंने उन्होंने क्षेत्र में धर्मांतरण (निम्न वर्ग के हिन्दुओं को बहलाकर ईसाई बनाना) रोकने की दिशा में ठोस काम किया है। यहां से वे सतत 4 बार सांसद रह चुके हैं।

फिलहाल भी यह सीट योगी आदित्यनाथ के अधिकार में है। उनके सामने सबसे अमीर प्रत्याशी कांग्रेस के अष्टभुजा प्रसाद त्रिपाठी हैं। आप ने राधेमोहन मिश्रा, बसपा ने राम भुआल निषाद, सपा ने राजमति निषाद को उतारा है। इनके अलावा भी कई क्षेत्रीय पार्टियों के व निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं।

घोसी लोकसभा सीट कौमी एकता दल के बाहुबली उम्मीदवार मुख्तार अंसारी को लेकर खास है। पहले उनका नाम वाराणसी से तय था, लेकिन यहां से भाजपा द्वारा मोदी को खड़ा करने के बाद अंसारी ने घोसी को अपना ठिकाना बना लिया और वाराणसी में कांग्रेस उम्मीदवार को अपना समर्थन दे दिया।

यहां से भाजपा ने बचपन से आरएसएस से जुड़े रहे हरिनारायण राजभर के हाथों में पार्टी की पताका थमाई है। आप ने मनीष कुमार राय, बसपा ने दारासिंह चौहान, सपा ने राजीव कुमार राय को अपना उम्मीदवार बनाया है। वर्तमान में यह सीट बसपा उम्मीदवार चौहान के कब्ज़े में है।

डुमरियागंज सीट से भाजपा के जगदंबिका पाल ध्यान खींच रहे हैं। पाल तीन दिन के लिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। कांग्रेस से लंबे समय तक जुड़े रहे पाल ने उपेक्षा के चलते कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा है। अभी भी इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी जय प्रताप सिंह को हराकर कांग्रेस की ओर से पाल ही काबिज हैं लेकिन उन्होंने कांग्रेस के साथ-साथ लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। अब कांग्रेस ने यहां से वसुंधरा कुमारी को टिकट दिया है। आप के बद्रे आलम, बसपा के मुहम्मद मुक़ीम, सपा के माता प्रसाद पांडे आदि भी चुनावी समर में हैं।


पश्चिम बंगाल में दमदम लोकसभा सीट से लगातार दो बार सांसद बने तपन सिकदर इस बार भी भाजपा की ओर से मैदान में हैं, जबकि पिछले दो चुनावों से इस सीट पर सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस का कब्ज़ा रहा है। ठीक पिछले चुनावों में जीते तृणमूल के प्रो. सुगता रॉय इस बार भी पार्टी के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने धनंजय मैत्रा, सीपीएम ने असीम कुमार दासगुप्ता और बसपा ने नरेन घोष को उम्मीदवार बनाया है।

बारासात लोकसभा सीट से पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध जादूगर पीसी सरकार के दूसरे बेटे पीसी सरकार जूनियर की ओर ध्यान जाता है। भाजपा ने इस बार तृणमूल कांग्रेस, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, फॉरवर्ड ब्लॉक, कांग्रेस आदि राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों के गढ़ के बीच पैठ बनाने की कोशिश की है। इसके लिए भाजपा ने पीसी सरकार जूनियर को अपना उम्मीदवार बनाया है।

वर्तमान में यह सीट तृणमूल की डॉ. काकोली घोष दस्तीदार के पास है और इस बार भी वे ही यहां से पार्टी उम्मीदवार हैं। एआईएफबी के डॉ. मुर्तजा हुसैन, कांग्रेस की ऋजु घोषाल के अलावा कई क्षेत्रीय व निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं।

वेबदुनिया पर पढ़ें