जब सैम ने किया इंदिरा का विरोध

शुक्रवार, 27 जून 2008 (22:43 IST)
वर्ष 1971 के महानायक सैम मानेकशॉ से जुडे़ हजारों ऐसे वाकये हैं जो रह-रह कर चर्चा में आते हैं।

ऐसा ही एक वाकया तब का है जब बतौर थलसेना प्रमुख जनरल मानेकशॉ ने बांग्लादेश के मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से असहमति जताई थी। वर्ष 1995 में दिल्ली में हुए फील्ड मार्शल केएम करियप्पा स्मृति व्याख्यान के उद्‍घाटन समारोह में दिवंगत मानेकशा ने इस वाकये का उल्लेख किया था।

मानेकशॉ ने बताया था कि फील्ड मार्शल होने और बरखास्त होने के बीच बहुत महीन रेखा है। वर्ष 1971 में जब पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में दमनचक्र चलाया था तब सैंकड़ों-हजारों की तादाद में शरणार्थियों का भारत के पश्चिम बंगाल असम और त्रिपुरा में आने का सिलसिला शुरू हो गया था।

प्रधानमंत्री ने हालात का जायजा लेने के लिए अपने कार्यालय में कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। उन्हें भी बुलावा भेजा गया था।

मानेकशॉ ने उन दिनों को याद करते हुए बताया था कि तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने गुस्से में पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों से मिले टेलीग्राम पढ़े।

फिर वह मेरी ओर मुड़ीं और बोलीं इसके लिए आप क्या कर रहे हैं। मैंने कहा कि कुछ भी नहीं इसका मुझसे कोई लेना देना नहीं है।

जब आपने सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस और रॉ को पाकिस्तानियों को बगावत के लिए प्रेरित करने की इजाजत दी थी तब आपने मुझसे सलाह नहीं ली थी। अब जब आप तकलीफ में हैं तो आप मेरी ओर देख रहीं हैं।

कल रात ही अंतिम साँस लेने वाले इस महान सपूत ने अतीत के पन्ने पटलते हुए बताया था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने तब कैबिनेट की बैठक में मुझसे कहा था कि मैं चाहती हूँ कि आप पाकिस्तान में प्रवेश करें।

इस पर मैंने प्रतिक्रिया दी कि इसका मतलब युद्ध है। तो उन्होंने कहा कि अगर यह युद्ध हो तो भी मुझे कोई दिक्कत नहीं है।

मानेकशा के अनुसार उन्होंने इंदिरा से कहा था कि क्या आप तैयार हैं। लेकिन मैं तो निश्चित तौर पर नहीं हूँ। यह अप्रैल का अंत है। हिमालयी दर्रे खुल रहे हैं और ऐसे में चीन की ओर से हमला हो सकता है।

मानेकशा ने कहा कि मैं फिर प्रधानमंत्री की ओर मुड़ा और कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में बरसात शुरू होने वाली है और जब वहाँ बारिश होती है तो पूरे देश में बाढ़ आ जाती है। बर्फ पिघल रही है। नदियाँ महासागर के समान हो जाएँगी। इससे हमारी सारी गतिविधियाँ सड़कों तक ही सीमित रह जाएगी।

मानेकशॉ ने इंदिरा गाँधी से कहा था कि मौसम के कारण वायुसेना मदद करने की स्थिति में नहीं रहेगी। उन्होंने कहा था अब प्रधानमंत्री आप मुझे अपना आदेश दें। दाँत भींचते हुए कठोरता से इंदिरा गाँधी ने कहा कि कैबिनेट की बैठक दोबारा चार बजे होगी।

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