ऑपरेशन लालगढ़ : चित्रों की जुबानी

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सरकार द्वारा की जा रही उपेक्षा से नाराज आदिवासी बाहुल्य लालगढ़ इलाके में हजारों स्थानीय आदिवासियों तथा माओवादियों ने कई गाँवों पर कब्जा कर लिया है। इनका मुख्य निशाना बने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय तथा कार्यकर्ता। उल्लेखनीय है कि लालगढ़ इलाके में लगभग आठ सौ से एक हजार गाँव हैं। उन इलाकों की आबादी लगभग 60 हजार है।

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हथियारों से लैस 'माओवादियों' और आदिवासियों ने लगभग पच्चीस गाँवों पर नियंत्रण कर लिया है। पश्चिमी मिदनापुर के इन इलाकों से आंदोलन कर रहे लोगों ने पुलिस को खदेड़ दिया है और वे अर्धसैनिक बलों को भी वहाँ नहीं घुसने दे रहे हैं। इन्होंने कई सरकारी दफ्तरों, पुलिस थानों तथा सीपीएम के कार्यालयों में आग लगा दी है।

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पश्चिम बंगाल के लालगढ़ इलाके में आदिवासियों व हथियारबंद माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस तथा सुरक्षा बल के जवान लालगढ़ के करीब पहुँच गए हैं। शुक्रवार की सुबह राज्य पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों ने लालगढ़ से महज पाँच किलोमीटर दूर झिटका के जंगल में पहुँचकर कार्रवाई शुरू कर दी है।

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काफी सावधानी के साथ सुरक्षा बल आगे बढ़ रहे हैं और उन्हें कोई बड़ी बाधा का सामना नहीं करना पड़ रहा है। सरकार ने कार्रवाई को और धारदार बनाने के लिए कोलकाता पुलिस के भी सौ जवानों को साथ भेजा है। पहले ही से कार्रवाई के लिए सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के पाँच सौ जवान इलाके में हैं।

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पश्चिम बंगाल के तनावग्रस्त लालगढ़ इलाक़े में संदिग्ध हथियारबंद माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई निर्णायक दौर में पहुँच गई है, शनिवार को सुरक्षाकर्मी सावधानी बरतते हुए लालगढ़ पहुँच गए हैं।

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जंगल के रास्ते लालगढ़ पहुँचने के लिए सुरक्षाकर्मियों को लगभग आठ किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ा है। इस दौरान सुरक्षाबलों को किसी खास प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा है। इस कार्रवाई में राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान शामिल हैं।