इस अंक में मेरा आत्मकथ्य, साक्षात्कार, 4 कहानियां, 9 कविताओं के साथ-साथ हरीश नवल, प्रभात रंजन, सत्यकेतु सांकृत, स्वाति तिवारी, रश्मि, कमलेश कुमारी एवं विजय शर्मा आदि के लेख शामिल हैं।
इस विशेषांक का लोकार्पण विश्व हिन्दी सम्मेलन के अवसर पर होना तय था, मगर मैं किन्हीं कारणों से इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाया। शायद इसीलिए नई धारा के इस अंक में थोड़ी देरी हो गई। मगर अब जल्दी ही सबके सामने होगा...।