12 नवंबर 1961 को देहरादून में जन्म। अँग्रेजी और हिंदी साहित्य में एम.ए.। इंदिरा गाँधी मुक्त विवि से ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा। विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएँ, कहानियाँ प्रकाशित। सम्प्रति देहरादून में मानव संसाधन विभाग में कार्यरत।
ठंडी विषकन्या का बाजार अब धराशाई होने लगा ठंडा माने टॉयलेट क्लीनर का सत्य विजयी हुआ योगक्षेम का अभियान अब मुस्कराने लगा सत्य के प्रहार से ठंडे का तड़का अब खामोश रोने लगा।
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ठंडे का तड़का लगाकर, धर्मनिरपेक्षता की नकली खाल पहनकर विज्ञापन करते, देश के चाकलेटी फिल्म अभिनेता और मैच फिक्सिंग के जुआरी ठंडी विषकन्या की दलाली खाते, पूँजी निवेश का मुखौटा लगाते क्लीन चिट का फतवा देते भ्रष्ट सत्ता के मदारी, ठंडे को सुरक्षित बताते ये जहरीले व्यापारी
सत्ता और व्यवस्था के मदारियों से फलता यह ठंडे का पूँजी बाजार रिश्वत की दलाली से स्विस बैंक में आती हर रोज बहार की बहार
देश का हर इंसान कर दे इसका पूर्ण बहिष्कार ना करे कोई किसी का अब ठंडी विषकन्या से अतिथि सत्कार न हो अब स्वदेशी की उपेक्षा और न हो हिंदी का उपहास योग धर्म की आँधी से नहीं रहेगा अब कोई उदास
काली अँग्रेजी के गुलाम करो पिज्जा बर्गर को अब आखिरी सलाम बेलेंटाइन के रखवालों मिसटर रिसपना के बालों को तुरंत इस ठंडे से धो डालो मिस बिन्दाल की चोटी को तुरंत इसमें रंग डालो
ठंडी विषकन्या के सपेरे अब एक नई बीन बजा रहे देश के भूजल को दूषित बतला रहे फतवा क्लीन चिट का लिखवा रहे मसीहा बनकर पिछड़े गाँवों को रातोंरात गोद ले रहे गोद लेने की आड़ में ठंडे का विज्ञापन कर रहे कहीं खैरात बाँट रहे, मुफ्त में ग्रामीणों को ठंडा पिला रहे।