मैं वहीं हूं जो मैं थी

GN

- जेन भंडारी






छोड़ो भी
तुमने मुझे नहीं जाना
तुमने नहीं जाना कि मैं कौन थी-
मेरे साथ तीस साल रहे
और कभी नहीं देखा कि
मैं स्वयं अपने लिए क्या थी।

ND
मैं थी
मेरी अपनी धूप
गीतों की नायिका
चित्रकार, कवियित्री
कहानियां सिरजनेवाली
यह सब मैं थी।

मैं थी तुम्हारे बच्चों की मां
संगिनी पत्नी
गृहिणी
तुम्हारी नारी
वह सब मैं थी।

और हर पल
मैं अंतर से मरती रही थी
क्योंकि मैं नहीं हो पाई
तुम्हारी नारी
और फिर भी साथ-साथ स्वयं भी।

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