हिन्दी कविता : प्यारे दोस्त

कड़कती धूप में गन्ने का रस जैसे
सर्दियों में चाय की गरम सेंक जैसे
जैसे रसमलाई नरम जैसे पकौड़े करारे है
दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं, दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं
 
दनदनाती बारिश में छाते की तरह
उबड़-खाबड़ रास्तों में जूतों की तरह
सफ़ेदी पर जैसे रंगों की फुहारे है
दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं, दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं
 
कमियां मेरी काले धन सा छिपाते हैं
और खूबियों के तिल को ताड़ बना इतराते हैं
जिंदगी के अलबम की खूबसूरत तस्वीरें हैं
दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं
किस्मत की मुबारक लकीरें हैं
जमीन पर उतरे आसमां के तारे हैं...
दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं, दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी