कविता : दशरथ नंदन राम

सौम्य सुदर्शन शामल सुंदर
नीलमणी सम रोचन उज्ज्वल
रणवीर धुरंधर वीर धनुर्धर
असुर निकंदन दशरथ नंदन
 
विष्णुरूप तुम, विश्वरूप तुम
जानकीवल्लभ रघुनंदन तुम
कोदंडधारी विघ्नसंहारक
पालनहार प्रभु रामचंद्र तुम
 
रक्ष रक्ष हे राम राम
रोग संहारो राम राम
क्लेश हरो हे राम राम
कृपा करो हे राम राम
 
जग उद्धारो हे राम राम
पार लगाओ राम राम
कष्ट निवारो हे राम राम
मंगल करो हे राम राम।
 
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