मन मयूर नाचे छम छम जब,
राधा, होरी खेले कान्हा संग
होली की इस पावन बेला में रंग उड़े हजार
रंगों के रमझट में अब तो राधा हुई निहाल
बरसे गुलाल, बरसे टेसू रंग,
पीला पीतांबर पहने कान्हा रम गए राधा संग
निश्चल अमर प्रेम जिनका दोनों के एक स्वरूप,
कभी राधा, दिखे कान्हा और कभी दिखे कान्हा राधे,