युवा का जीवन लक्ष्य - भाग 3

गतांजारी....

GN
फ़िजा में ताजे, कटे घास और सौंधी मिट्टी की मादक हवा तैर रही थी। चेरी और एपल ब्लासम की सुर्ख-गुलाबी पंखुड़ियाँ वर्षा की बूँदों की तरह उसके चारों ओर झर्र-झर्र झर रही थीं। झूले पर बैठी युवा थोड़ी देर तक इयन के हट्टे-कट्टे खूबसूरत कसरती जॉन ट्रिवाल्टा जैसे बदन को 'लॉन मो' करते देखती रही। इयन ने जब लॉन की एक लंबी घास-पट्टी की कटाई खत्म कर सीटी बजाते हुए लॉन-मोअर को घुमाया तो झूले पर बैठी युवा को अपनी ओर देखते पाकर सहज ही मुस्कराया, 'हाय युवा, हॉट इजन्ट इट।' कहते हुए उसने सूरज की तरफ़ देखा और पसीने से तर अपना सैंडो-कट जालीदार टी-शर्ट उतारकर लापरवाही से झाड़ी पर फेंक दिया।

उसकी फ़ौलादी छाती और मजबूत मछलियों वाली बाँहों को देखकर युवा की आँखों में ही नहीं बदन के नस-नस में नन्हे-नन्हे हजारों बल्ब जलने-बुझने लगे। उसने अपने खुश्क हो आए गले को तर करने के लिए होंठों को चूसते हुए इयन से कहा, 'आई एम गोईंग टु मेक टी, वुड यू लाइक अ कप्पा, इयन।' 'ओ! या युवा, आई नीड अ ब्रेक, शैल आई कम।'

'यप्प' कहते हुए युवा झूले पर जरा देर बुत-सी बैठी रही, फिर पास आ खड़े इयन की बाँहों में अपनी बाँहें फँसाते हुए बोली, 'चलो, अंदर चलकर चाय बनाते हैं।'

'ओ.के.' कहते हुए इयन ने युवा की बौराई आँखों में झाँकते हुए कहा, डू यू फैन्सी मी युवा?
'यस सिली, व्हाट इल्स' कहते हुए उसने अपनी बाँहें उसके गले में डाल दी। इधर जीन्स के अंदर इयन का कुँआरापन मचल कर चुलबुलाया, तो उधर युवा के हाल्टरनेक में बंधा यौवन कसमसाया, हाल्टर नेक का फंदा तो पहले ही ढीला पड़ चुका था। इधर मम्मी के दिए होम-वर्क का खुला पन्ना ब्रेक-फास्ट टेबुल पर हर तरह की अवहेलना करता हुआ बेसुध फड़फड़ाता रहा, उधर किचन में बिजली से चलने वाली रसल-हाब्स की टी-केटल उबल-उबलकर भाप छोड़ती रही।

थोड़ी देर बाद अमित आनंद से तृप्त युवा ने इयन से पंजा लड़ाते हुए कहा, 'यू आर जस्ट परफेक्ट इयन।'
'यस, इट्स ओ.के. युवा, बट बी प्रैक्टिकल, वी शुड यूज रबर-शीट।' इयन ने उसके माथे पर चुम्बन देते हुए कहा।
'नहीं, नहीं इयन नहीं। मुझे हमारे-तुम्हारे दरम्याँ कोई भी चीज नहीं पसंद है।'
'पर युवा अगर तुम गर्भवती हो गई तो...'
'तो क्या, हम अपना आशियाना बनाएँगे, इयन आई लव चिल्ड्रेन। आई वान्ट माई ओन चिल्ड्रेन... प्लीज गिव मी अ चाइल्ड।' अब हर रोज नियमित रूप से स्कूल से आने के बाद इयन और युवा गंभीरता से होमवर्क और पढ़ाई-लिखाई साथ-साथ करते।

चाय पीते, लॉन मोव करते। चकल्लस करते, चोंचें लड़ाते जीवन-आनंद से तृप्त घर के सारे काम सहज ही निपटा डालते।
जब तक मम्मी-डैडी घर आते युवा उनके लिए खाना तैयार रखती। मम्मी-डैडी युवा के जीवन में आए इस बृहद बदलाव से पूरी तरह बेखबर... एक तरफ़ युवा उनकी अवमानना करती तो दूसरी तरफ़ उन्हें खुश रखने का पूरा प्रयास भी करती।

जी.सी.एस.सी. का रिजल्ट आया। युवा के सात 'ए-ग्रेड' और तीन 'बी-ग्रेड' मम्मी-डैडी खुश और बहुत खुश। इसी खुशी में मम्मी-डैडी ने पार्टी दे डाली।

जिस समय लोग माथुर दम्पति को युवा की सफलता पर बधाई दे रहे थे। नए आत्मविश्वास से दीप्त युवा ने किसी फिल्मी हीरोइन की तरह सधे हुए हाथों से अचानक क्रिस्टल के वाइन गॉबलेट को सुनहरे चम्मच से बजाते हुए ऊँचे स्वर में कहा, 'अटेंशन! अटेंशन प्लीज, आई वान्ट टु मेक एन अनाउन्समेंट...'

माथुर दम्पति के साथ ही आए हुए मेहमान भी युवा की ओर देखने लगे। युवा ने लंबी साँस खींची और एक-एक शब्द पर जोर देते हुए बोली, 'आई एम फोर मंथ्स प्रेगनेन्ट एन्ड आई एम गोइंग टु हैव अ बेबी इन डिसेम्बर।' उसने अपने कमर पर हाथ रखते हुए कहा, 'एन्ड हियर इज द फादर ऑफ़ द बेबी इयन मैकेंजी।' कहते हुए उसने एक उत्सुक नजर पार्टी में आए आंटी-अंकल और मित्रों पर डाली।

माथुर दम्पति के साथ-साथ पार्टी में आई उनकी मित्रमंडली सन्न रह गई। जरा-सी लड़की और उसकी यह हिम्मत! भरी महफिल में खुद को ही नहीं अपने माँ-बाप को भी बेइज्जत कर गई। अरे! कोई लड़का ऐसा करता तो क्षम्य था पर लड़की! हाय! हाय! थू-थू! लोग युवा को धिक्कार उठे! जरा-सी लड़की और यह छल-छंद!

'व्हाट? आर यू इन योर सेन्सेज... से इट्स अ जोक... अ जोक' मीरा चीखी। माथुर साहब धम्म से पास रखी कुर्सी पर बैठ गए, 'क्या कह रही है यह नासमझ लड़की? हम तो बरबाद हो गए!'
पार्टी में आए लोग फुसफुसाए 'बेशर्म, आग लगे ऐसी जवानी को। हिम्मत तो देखो इसकी।'
'मीरा और अजय के सीने पर इसने सबके सामने मूँग दल दी, बड़ी डींगें मारा करती मीरा अपने माथुर-क्लैन की। अब हो गई न टीलि-लिली झर्र।'

युवा को अपने लोगों से यही आशा थी। उसको पता था सब लोग उसकी खिल्ली उड़ाएँगे, पर उसे अपने निर्णय पर पूरा एतबार था। उसके हमउम्र तो घबराकर अपनी-अपनी मम्मियों के आँचल में घुस गए। सिर्फ़ कोमिला आंटी उठी और उसे बाँहों के घेरे में लेकर बोली, 'युवा मैं तेरे साथ हूँ। तू फ़िकर मत कर मैं तेरे बच्चे की गॉड मदर बनूँगी।' कोमिला के कोई संतान नहीं थी। फिर उन्होंने इयन के कंधे
को थपथपाते हुए कहा, 'इयन अगर तुम्हें कभी फ़ोस्टर पैरेंट या बेबी-सिटर की जरूरत पड़े तो मैं तुम दोनों के पास हूँ। घबराना मत...

'नहीं, आँटी मैं अपने बच्चे को खुद पालूँगी और उसकी हर जरूरत को पहचानूँगी।' युवा ने भर आए गले से कहा।

'हमे काउंसिल फ्लैट मिल गया है और हम अब उसमें मूव कर जाएँगे। मैं खुश हूँ और मुझे मेरे बच्चे के आने का इंतजार है।' और वह इयन का हाथ पकड़कर, सुबकती हुई बाहर चली गई।

मीरा सिर पर हाथ धरे देर तक बैठी रही, लोग उसे दिलासा देते रहे, 'अभी समय है गर्भ गिरवा दो लड़की का।'

'लड़की को दादा-दादी के पास इंडिया भेज दो। सब ठीक हो जाएगा।'
'हाय-हाय इस लड़की ने तो नादानी में अपना जीवन बर्बाद कर दिया।'
'क्या मीरा, तुम भी, लड़की पर कड़ी नजर रखनी चाहिए थी। हमें तुमसे ऐसी आशा नहीं थी।'
'अरे! मेरी लड़की ऐसा करती तो मैं उसका गला घोंट देती'
'यह थोड़े दिनों का उबाल है। देखना, कुछ ही दिनों में इयन उसे छोड़कर भाग जाएगा! इन हरामी गोरों का कोई एतबार है क्या? आज इसके साथ तो कल उसके साथ!'
'हाय राम! कलयुग है कलयुग! इन अँग्रेजों का कोई मोरैल होता है क्या?' यह उन लोगों के वाक्य थे जिनके बच्चों की शादियाँ हो चुकी थी। जिनके बच्चे अभी कुँआरे थे वे घबराए हुए भगवान से प्रार्थनाएँ करते हुए अपनी-अपनी खैर मना रहे थे कि उनके बच्चे ऐसे कलमुँहे और नालायक न हों।

मीरा-अजय अपना-सा मुँह लेकर देर रात तक बैठे रहे... उन्हें नहीं पता था लड़की इस हद तक विद्रोह करेगी... और भरे समाज में उनकी नाक कटाएगी।

धीरे-धीरे लोग अजय और मीरा को सांत्वना देते हुए अपने-अपने घर चले गए।

उस रात को कोई भी नहीं सो सका। सभी इंग्लैण्ड, उसके उन्मुक्त, संस्कारविहीन समाज और 'वेल-फेयर सिस्टम' को गालियाँ देते रहे थे। 'हे भगवान, ईश्वर न करे ऐसी संतान किसी की हो... लड़की ने अपनी जिंदगी तो तबाह की ही साथ ही हम सबको भी तबाह कर कई। अब हम क्या कभी पूरी नींद सो सकेंगे। ऐसी मुँहजोर और निडर लड़की हमने आज तक नहीं देखी। अब इस देश में रहना ठीक नहीं भाई, बोरिया-बिस्तर बाँधो और अपने देश वापस चलो'। सब कहने की बात। कोई वापस नहीं गया, वेलफेयर स्टेट का लाभ, व्यवस्थित जीवन, सुख-सुविधा और ऐशो-आराम की जिंदगी उन्हें जाने दे तब न। धीरे-धीरे समय के साथ माथुर दम्पति के घर हुई घटना पर धूल की पर्त चढ़ने लगी।