दशकों से सदियों से युगों से भटक रहे हो गौतम बुद्ध बनने के लिए मुक्ति पाने के लिए अमर होने के लिए सातवाँ आसमान छूने के लिए धर्म अर्थ यश काम मोक्ष पाने के लिए।
मुझे वित्ता भर स्पेस देकर चले जाते हो कभी कंदराओं में कभी बौद्धि वृक्ष तले कभी तीर्थ या विदेश यात्रा पर कभी राजधानी या वेश्यालओं में।
पर मेरा दु:ख यह है कि मुझे जरा-सी स्पेस देकर फिर लौट आते हो क्यों?