12 जून 1957 को जन्म। स्नातक। आयुर्वेद रत्न। पिछले 25 सालों से आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा और समाजसेवा। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में गजल, कविता, आलेखों का प्रकाशन। काव्य गोष्ठियों और कवि सम्मेलनों में शिरकत।
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लुटाता चला चल बनके दीवाना तेरे पास है प्यार का इक खजाना
सागर भी प्यासा नदियाँ भी प्यासी दुनियाँ में किसको मिली न उदासी झरने सिखाते हैं, राहें बनाना तेरे पास है प्यार का इक खजाना
हँसी और आँसू भरी जिंदगी है चले संग दोनों के वही आदमी है गुलों की तरह सदा मुस्कराना तेरे पास है प्यार का इक खजाना
मन का पँखेरू उड़ता ही जाता हदें छोड़ अपनी बढ़ता ही जाता हकीकत से उसको वाकिफ कराना तेरे पास है प्यार का इक खजाना
जमीं आसमाँ दिखते मिलते जहाँ पर कहो कौन पहुँचा है जाकर वहाँ पर मिलना यहीं है, यहीं है मिलना तेरे पास है प्यार का इक खजाना।