अंबेडकर साहेब ने अपनी कमजोरी को कभी भी संविधान निर्माण में आड़े नहीं आने दिया। अब हमारी बारी है कि हम अपना योगदान दें और जो भी पीड़ित, उपेक्षित, दलित और कमजोर लोग हैं उन्हें सम्मान दें और उन्हें न्याय दिलाने में मदद करें और शिक्षा, भोजन, सम्मान आदि दिलाने में सभी की मदद करें।
ओस्लो में अंबेडकर जयंती कार्यक्रम में जिस प्रकार दूतावास के सभी उपस्थित सचिव, कार्यकर्ता सभी आगंतुकों का स्वागत कर रहे थे, वह सराहनीय रहा। कार्यक्रम के अंत श्रीलाल ने तबले पर और रोहिणी ने सितार वादन से वातावरण संगीतमय बना दिया।