जापान में तोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के तोमोहीरो उसुई ने कहा, ‘मंगल के उल्कापिंडों के पिछले अध्ययनों में तीसरे ग्रह संबंधी जलस्रोत के संकेत मिलते रहे हैं लेकिन हमारे नए आंकड़ों के लिए पानी या बर्फ के स्रोत का अस्तित्व होना जरूरी है, उसमें भी मंगल से जुड़े नमूनों के सेट से बदलाव प्रतीत होता है।’ उसुई शोधपत्र के लेखक हैं और नासा : लूनार एंड प्लेनेटरी इंस्टीट्यूट के पूर्व पोस्ट डॉक्टरल फेलो हैं।
उसुई ने कहा, ‘इस अध्ययन से पहले तक, सतह पर इस जलस्रोत के अस्तित्व का या फिर मंगल की सतह से पृथ्वी पर आने वाली चट्टानों के साथ इस जलस्रोत के संपर्क का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध नहीं था।’ प्राप्त नमूनों में हाइड्रोजन अणुओं से बना जल दिखाया गया है, जिसमें इसके समरूपों का एक ऐसा अनुपात है, जो लाल ग्रह के मेंटल (आवरण) और मौजूदा वायुमंडल में पाए जाने वाले जल से भिन्न है।