एनआरआई न्यूज : भारतीय को मिलेगी उम्रकैद की सजा!

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सिंगापुर। सिंगापुर हाई कोर्ट मौत की सजा का सामना कर रहे एक भारतीय और एक मलेशियाई नागरिक के वकीलों की जिरह पर एक संशोधित कानून के तहत दोबारा सुनवाई करेगा। इस कानून के तहत न्यायाधीशों को यह विशेषाधिकार है कि वे हत्या के कुछ खास मामलों में मौत या उम्रकैद की सजा सुना सकते हैं।

भारतीय नागरिक बीजूकुमार रमादेवी नायर गोपीनाथन को वर्ष 2010 में सिंगापुर के एक होटल में देह व्यापार करने वाली फिलीपीन की एक महिला की हत्या का दोषी ठहराया गया था। ‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ ने कहा कि पूर्व के प्रावधानों के अनुसार हत्या के सभी मामलों में मौत की सजा अनिवार्य थी।

इसी तरह मलेशिया के नागरिक जैबिंग खो को 2008 में एक चीनी नागरिक की हत्या करने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। इन दोनों दोषियों के मामले ऐसे पहले मामले हैं जिनकी हाई कोर्ट संशोधित कानून के तहत समीक्षा कर रहा है।

जुलाई 2011 में कानून की समीक्षा शुरू होने के बाद दोषी कैदियों की सजा पर रोक लगा दी गई थी। दैनिक अखबार ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में संशोधित कानून के तहत 34 कैदियों को एक तरह से ‘लाइफलाइन’ मिल गई थी।

अभियोजन पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होने के बीच इन दोनों दोषियों के वकीलों ने इन मामलों की समीक्षा के लिए मंगलवार को ‘कोर्ट ऑफ अपील’ में अलग-अलग आवेदन किया। संशोधित कानून के तहत सिंगापुर में मौत की सजा का प्रावधान सिर्फ धारा 300 (ए) के तहत ही है। पहले के कानून में हत्या के हर मामले में मृत्युदंड अनिवार्य था।

बीजूकुमार (37) को एक होटल में वर्ष 2010 में रोजलिन रेएस पैस्का की हत्या के मामले में धारा 300 (ए) और (सी) के तहत मौत की सजा सुनाई गई थी, हालांकि पिछले साल सितंबर में ‘कोर्ट ऑफ अपील’ ने धारा 300 (ए) के तहत उसकी दोषसिद्धि को खारिज कर दिया था। (भाषा)

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