अब सुशील की बारी...

मंगलवार, 7 अगस्त 2012 (18:13 IST)
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चार वर्ष पहले बीजिंग ओलिंपिक में पदक जीतने वाले तीन भारतीय खिलाड़ियों में से स्वर्ण विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और कांस्य विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह की लंदन ओलिंपिक में बिना कोई पदक जीते चुनौती समाप्त हो चुकी है और अब दारोमदार पिछले कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार पर आ गया है कि वे बीजिंग की अपनी कामयाबी लंदन में भी दोहराएं।

लंदन ओलिंपिक में कुश्ती में फ्रीस्टाइल मुकाबले बुधवार से शुरू हो रहे हैं और इन्हीं मुकाबलों में भारत के पांच पहलवानों की चुनौती है। इन पांच पहलवानों में पदक की सबसे बड़ी उम्मीद महाबली सतपाल के होनहार शिष्य सुशील की है जो 66 किग्रा वर्ग में भारत की दावेदारी पेश करेंगे।

सुशील लंदन ओलिंपिक के उद्‍घाटन समारोह में भारतीय ध्वजवाहक की भूमिका निभा चुके हैं जिससे उन पर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ गई है। सुशील खुद मानते हैं कि ध्वजवाहक बनने के बाद उन पर अतिरिक्त भार आ गया है कि वे देश की पदक उम्मीदों पर खरे उतरें।

द्रोणाचार्य अवॉर्डी सतपाल अपने छत्रसाल अखाड़े के कोच रामफल के साथ सुशील का हौसला बढ़ाने के लिए लंदन पहुंच चुके हैं। सतपाल के ही दो अन्य चेले अमित कुमार (55 किग्रा) और योगेश्वर दत्त (60 किग्रा) भी देश की उम्मीदों को कर्णधार हैं।

महाराष्ट्र के पहलवान नरसिंह यादव (74 किग्रा) भी अपनी तरफ से कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं हैं। महिला पहलवान गीता फोगट (55 किग्रा) से भी देश को खासी उम्मीदें हैं। गीता नौ अगस्त को अपना मुकाबला खेलने उतरेंगी जबकि नरसिंह और अमित 10 अगस्त को कुश्ती रिंग में उतरेंगे।

योगेश्वर 11 अगस्त को और सुशील ओलिंपिक के अंतिम दिन 12 अगस्त को अपनी चुनौती पेश करेंगे। यानी सुशील ओलिंपिक के आखिरी दिन तक भारतीय उम्मीदों को परवान चढ़ाए रखेंगे। भारत ने ओलिंपिक कुश्ती में अपना पहला पदक 1952 में जीता था जब केडी जाधव ने देश को कांस्य पदक दिलाया था।

जाधव की उपलब्धि के 56 वर्ष बाद जाकर सुशील ने 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में देश को कांस्य पदक दिलाया। सुशील पर खासी जिम्मेदारी है कि वे पिछले ओलिंपिक की कामयाबी को न केवल दोहराएं बल्कि उससे आगे भी बढ़ें। उन्होंने कहा है कि वे और उनके साथी पहलवान लंदन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं और कोई मौका नहीं गंवाएंगे।

उन्होंने कहा कि मैं इस बड़े मंच के लिए एक बार फिर तैयार हूं। हालांकि कुछ ऐसे भी पहलवान प्रतियोगिता में उतरने जा रहे हैं जिनके खिलाफ मैं कभी खेला नहीं हूं। लेकिन ओलिंपिक ऐसा ही होता है। आपको इसके लिए तैयारी करनी होती है। पूर्व विश्व चैंपियन ने कहा कि इस बार केवल मुझसे ही अपेक्षाएं नहीं हैं बल्कि देश के दूसरे पहलवानों से भी उम्मीद लगायी जा रही हैं।

यह बहुत ही शुभ संकेत है। पहले कभी हम पर मीडिया ने इतना ध्यान नहीं दिया था लेकिन अब हालात अच्छे हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि योगेश्वर, अमित और नरसिंह भी शानदार प्रदर्शन करेंगे। (वार्ता)

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