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राधा अष्टमी व्रत कैसे करें...
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण की बाल सहचरी, जगजननी भगवती शक्ति राधाजी का जन्म हुआ। राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अपूर्ण है।
यदि श्रीकृष्ण के साथ से राधा को हटा दिया जाए तो श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व माधुर्यहीन हो जाता। राधा के ही कारण श्रीकृष्ण रासेश्वर हैं।
राधा अष्टमी का
व्रत कैसे करें -
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प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
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इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।
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कलश पर तांबे का पात्र रखें।
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अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित करें।
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तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें।
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ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए।
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पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें।
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दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें।
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