आंवला नवमी 2022 : जानिए इस दिन का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत की सरल विधि
amala navami 2022
आज अक्षय/आंवला नवमी (Amla Navami 2022) पर्व है। यह त्योहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इसे अन्य नाम धात्री नवमी और कूष्मांड नवमी से भी जाना जाता है।
महत्व- धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य अक्षय फल देता है अर्थात् उसके शुभ फल में कभी कमी नहीं आती। आंवला नवमी के दिन ही द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था और स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। इसी दिन से वृंदावन की परिक्रमा का प्रारंभ भी होता है।
पौराणिक शास्त्रों में आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान बताया गया है, इस दिन आंवले के वृक्ष में भगवान श्रीहरि तथा भगवान शिव का वास होता है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन प्रातः उठकर आंवले के वृक्ष के नीचे साफ-सफाई करके कच्चे दूध, फूल एवं धूप-दीप से आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण भोज के पश्चात पूर्व दिशा की ओर मुंह करके स्वयं भोजन करने तथा प्रसाद के रूप में भी आंवला खाने की मान्यता है। मान्यतानुसार यदि भोजन करते समय थाली में आंवले का पत्ता आ गिरे तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। यह भी माना जाता है कि आने वाले साल में व्यक्ति की सेहत बहुत अच्छी रहेगी।
आंवला नवमी 2022 के शुभ मुहूर्त-Amla Navami Muhurat
कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि का प्रारंभ- मंगलवार, 1 नवंबर 2022 को दोपहर 11.04 मिनट से शुरू
नवमी तिथि का समापन- बुधवार, 2 नवंबर 2022 को रात 09.09 मिनट पर।
व्रत की सरल पूजन विधि-Puja Vidhi
- कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
- अब आंवला वृक्ष के समीप जाएं।
- आंवला वृक्ष के आसपास की साफ-सफाई करें और वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करके कच्चा दूध डालें।
- अब पूजन सामग्री से आंवला वृक्ष का पूजन करके उसके तने पर कच्चा सूत अथवा मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें।
- अब कर्पूर अथवा घी का दीपक जलाकर आरती करें।
- आंवला नवमी कथा सुनें अथवा पढ़ें।
आज के मंत्र- आज के दिन 'कृं कृष्णाय नमः', या 'ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः' अथवा 'ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।' तथा 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इनमें से किसी भी मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें।
- इसके बाद सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर भोजन करें।
नोट : इस दिन कई स्थानों पर 108 परिक्रमा करने का भी प्रचलन है।