राजा-रानी आंवला दान नहीं कर पाए और प्रण के कारण कुछ खाया नहीं। जब भूखे प्यासे सात दिन हो गए, तब भगवान ने सोचा कि यदि मैंने इसका प्रण नहीं रखा और इसका सत नहीं रखा तो विश्वास चला जाएगा। इसलिए भगवान ने, जंगल में ही महल, राज्य और बाग-बगीचे सब बना दिए और ढेरों आंवले के पेड़ लगा दिए। सुबह राजा-रानी उठे तो देखा की जंगल में उनके राज्य से भी दोगुना राज्य बसा हुआ है। राजा, रानी से कहने लगे- रानी देख कहते हैं, सत मत छोड़े। 'सूरमा सत छोड़या पत जाए, सत की छोड़ी लक्ष्मी फेर मिलेगी आए।' आओ नहा धोकर आंवले दान करें और भोजन करें।