आज आशा दशमी पर्व है। इस दिन देवी पार्वती का भी पूजन किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से शरीर हमेशा निरोगी रहता है। मन शुद्ध रहता है तथा असाध्य रोगों से भी मुक्ति देने वाला है। वह व्रत अगर कोई भी कन्या करती है तो इसके प्रभाव से श्रेष्ठ वर की प्राप्ति होती है। अगर किसी महिला का पति यात्रा अथवा प्रवास के दौरान जल्दी घर लौट कर नहीं आता है तब यह व्रत करके वह अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है।
4. आशा दशमी व्रत का प्रारंभ महाभारत काल से माना जाता है।
5. इस व्रत को करने वाले हर मनुष्य को आंगन में दसों दिशाओं के चित्रों की पूजा करनी चाहिए।
भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति।।'
अर्थ- 'हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों। मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीष दें।'
8. दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धूप दीप और फल आदि समर्पित करना चाहिए।
9. तत्पश्चात ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद प्रसाद स्वयं ग्रहण करना चहिए।