इस पर्व के दिनों में कुंवारी और विवाहित महिलाएं, नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं तथा वे चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं।