गणगौर के समय सबसे ज्यादा समस्या पूजन आदि के दौरान गाए जाने वाले गीतों के चयन व उनकी उपलब्धता को लेकर आती है। यहां पाठकों की सुविधा के लिए पेश हैं गणगौर के दौरान विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले कईं लोकगीत...।
(1) गारा की गणगौर
गारा की गणगौर कुआ पर क्यों रे खड़ी है।
सिर पर लम्बे-लम्बे केश, गले में फूलों की माला पड़ी रे।। गारा की गणगौर...
चल्यो जा रे मूरख अज्ञान, तुझे मेरी क्या पड़ी रे।
म्हारा ईशरजी म्हारे साथ, कुआ पर यूं रे खड़ी रे।। गारा की गणगौर...
माथा ने भांवर सुहाय, तो रखड़ी जड़ाव की रे।
कान में झालज सुहाय, तो झुमकी जड़ाव की रे।। गारा की गणगौर...
मुखड़ा ने भेसर सुहाय, तो मोतीड़ा जड़ाव का रे।
हिवड़ा पे हांसज सुहाय, तो दुलड़ी जड़ाव की रे।। गारा की गणगौर...
तन पे सालू रंगीलो, तो अंगिया जड़ाव की रे।
हाथों में चुड़ला पहना, तो गजरा जड़ाव का रे।। गारा की गणगौर...
पावों में पायल पहनी, तो घुंघरू जड़ाव का रे।
उंगली में बिछिया सुहाय, तो अनवट जड़ाव का रे।। गारा की गणगौर...
(2) हिंगलू भर बालद लाया रे
हिंगलू भर बालद लाया रे, म्हारा मान गुमानी ढोला।
कौन के आंगन रालूं रे, म्हारा मान गुमानी ढोला।।
ईसरजी के आंगन रालो रे, म्हारा मान गुमानी ढोला।
बाई गौरा कामन गाली रे, म्हारा मान गुमानी ढोला।।
जिनने मोह्या ईसरजी गौरा रा, म्हारा मान गुमानी ढोला।
हिंगलू भर... कौन के आंगन... मान गुमानी ढोला।।
बासकजी के आंगन रालो रे, म्हारा मान गुमानी ढोला।
बाई नागन कामन गाली रे, म्हारा मान गुमानी ढोला।।
जिनने मोह्या बासकजी नागन रा, म्हारा मान गुमानी ढोला।
हिंगलू भर... कौन के आंगन... मान गुमानी ढोला।
(इसी प्रकार सूरजजी- रामल, चांदकजी- सामल के नाम लेने के बाद अपने घर वालों, घर वाली के नाम लेकर गीत को आगे गाती जाएं।)
(3) नाना अमरसिंह पागां बांधे
नाना अमरसिंह पागां बांधे, पेंचा संवारे अजमेर।
नाना अमरसिंह मोती हो पहने, चूनी संवारे अजमेर।।
झाली जी एं खेलन दो गणगौर, खेलन दो गणगौर।
खेलन दो री हाड़ा राव की गणगौर, निरखन दो गणगौर।।
नाना अमरसिंह बागा हो पहने, कसना संवारे अजमेर।
नाना अमरसिंह कंठा हो पहने, डोरा संवारे अजमेर।
झाली जी एं खेलन दो गणगौर, खेलन दो गणगौर।
खेलन दो री हाड़ा राव की गणगौर, निरखन दो गणगौर।।
(इसी प्रकार अन्य गहनों, वस्त्रों का नाम लेकर गाएं।)
(4) ओ जी म्हारे आंगन कुवलो
ओ जी म्हारे आंगन कुवलो खुदा दो, जे को ठंडो पानी।।2।।
जूड़ो छोड़यो नहाबा बैठिया, ईसरजी की रानी।
रानी से पटरानी की जो, बोले अमृत वाणी।।
अमृत का दोई प्याला भरिया, कंकू की रे प्याली।
मीठो बोल्या हृदय बसिया, मन में हरक उछाव।। ओ जी म्हारे आंगन...
जूड़ो छोड़यो नहाबा बैठिया, बासकजी की रानी।
रानी से पटरानी की जो, बोले अमृत वाणी।।
अमृत का दोई प्याला भरिया, कंकू की रे प्याली।
मीठा बोलिया हृदय बसिया, मन में हरक उछाव।। ओ जी म्हारे आंगन...
(इसी प्रकार देवताओं के बाद घर वालों के नाम लें।)
(5) माथन भांवर घड़ा
माथन भांवर घड़ा री गणगौर, घड़ा री गणगौर।
रखड़ी के ऊपर नम जाती री, जरा झुक जाती री।।
खीची राजा का लड़का ने पाटन लूटी री,
पटवारियां लूटी, रंगवाड़ियां लूटी री। खीची राजा...
मुखड़ा ने मेसर घड़ा री गणगौर, घड़ा री गणगौर।
मोतीड़ा के ऊपर नम जाती री, जरा झुक जाती।। खीची राजा...