उसके बाद कच्चा दूध, पानी, रोली व चावल अर्पित किए जाते हैं तथा बाजरा, आटा, घी और शकर मिलाकर प्रसाद चढ़ाया जाता है।
इतना ही नहीं, इस दिन अगर नि:संतान महिलाएं गोगादेव का पूजन करें तो उनकी गोद भी जल्दी ही संतान सुख से भर जाती है। गोगा पंचमी के 4 दिन पश्चात ही भाद्रपद कृष्ण नवमी को गोगा नवमी का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार काफी प्रसिद्ध है। इस दिन गोगा जहार वीर की पूजा के साथ में नाग देवता की भी विधिवत अर्चना करनी चाहिए।