पद्म पुराण में दिए गए गौ माता के वर्णन के अनुसार गौ माता के मुख में चारों वेदों का निवास माना गया हैं। उसके सींगों में भगवान शिव और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। उनके उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के अग्र भाग में इंद्र, दोनों कानों में अश्विनीकुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, अपान (गुदा) में सारे तीर्थ, मूत्र स्थान में गंगा जी, रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्व में महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं स्थित हैं।
इस दिन गाय का दूध, दही, गेहूं और चावल का सेवन नहीं किया जाता है। तथा अंकुरित मोठ, मूंग तथा चने आदि का ही भोजन में उपयोग किया जाता है और इन्हीं से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन चाकू द्वारा काटे गए खाद्य पदार्थ का सेवन करना भी वर्जित है।