बछ बारस या गोवत्स द्वादशी व्रत पुत्र की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को बछ बारस या गोवत्स द्वादशी पर्व (Bhadrapad Bachh Baras) मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 23 अगस्त, मंगलवार को पड़ रहा हैं।
गाय के उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के अग्र भाग में इन्द्र, दोनों कानों में अश्विनीकुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, अपान (गुदा) में सारे तीर्थ, मूत्र-स्थान में गंगा जी, रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्व में महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं स्थित हैं।
अन्य पुराणों में वर्णन हैं कि लिखा है बछ बारस, गोवत्स द्वादशी व्रत कार्तिक, माघ, वैशाख और श्रावण महीनों की कृष्ण द्वादशी को होता है। भाद्रपद मास की गोवत्स द्वादशी के दिन गौ माता और बछड़े की पूजा (cow worship) की जाती है।