पंचागीय गणना के अनुसार हरियाली अमावस्या 1 अगस्त को पुष्य नक्षत्र, सिद्धि योग, नागकरण व कर्क राशि के चंद्रमा के संयोग में मनाई जाएगी। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का होना अमृतसिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण करता है। क्योंकि पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि तथा उप स्वामी बृहस्पति हैं। सिद्धि योग के स्वामी भगवान श्री गणेश हैं। इस प्रकार के संयोग में अमावस्या पर तंत्र व मंत्र की सिद्धि विशेष फल प्रदान करती है। पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए भी यह दिन खास है। इस दिन तीर्थ पर पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान करने से घर में सुख, शांति, समृद्धि तथा वंशवृद्धि होती है।
हरियाली अमावस्या वास्तव में प्रकृति की उपासना का पर्व है। इस दिन वृक्षों का पूजन तथा पौधारोपण की मान्यता है। इस दिन घरों में भी हरियाली का पूजन किया जाता है। वनस्पति तंत्र के अनुसार अमृतसिद्धि योग में पौध रोपण करने से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है। संयोग से इस बार हरियाली अमावस्या पर अमृतसिद्धि योग का संयोग है। ऐसे में इस दिन पितरों की निमित्त वृक्षारोपण करना शुभफलदायी है।
जलवायु व मौसम के कारक ग्रह बुध अमावस्या पर सुबह 9.42 बजे मार्गीय हो रहे हैं। बुध के मार्गीय होते ही वर्षा ऋतु के चक्र में अचानक परिवर्तन आएगा। इसका प्रभाव भी दिखाई देगा। वहीं गुरु का वृश्चिक राशि में वक्रगत दृष्टि से कर्क राशि स्थित सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध व शुक्र से नवम-पंचम दृष्टि संबंध बनेगा। इसका प्रभाव जलीय ऋतु चक्र के सकारात्मक पक्ष को प्रबल करेगा।