प्रदोष काल व्यापिनी अष्टमी को जीमूतवाहन का पूजन होता है। इस व्रत के लिए यह भी आवश्यक है कि पूर्वाह्न काल में पारण हेतु नवमी तिथि प्राप्त हो। इस वर्ष अष्टमी रविवार दिनांक 22 सितंबर को दिन में 2:10 तक है, इसीलिए पूर्व दिन सप्तमी को प्रदोष व्यापिनी अष्टमी में व्रत करने पर पारण करने के लिए दूसरे दिन पूर्वाह्न में नवमी प्राप्त नहीं हो रही है।
फिर उन्हें पीली और लाल रुई से अलंकृत करें तथा धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों से पूजन करें। मिट्टी तथा गाय के गोबर से मादा चील और मादा सियार की मूर्ति बनाएं। उन दोनों के मस्तकों पर लाल सिन्दूर लगा दें।