कार्तिक पूर्णिमा का महत्व: कार्तिक पूर्णिमा का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टियों से अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, दीपदान यानी दीपक जलाना और अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ आदि का दान करने से अनंत पुण्य मिलता है। 
	 
	कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहने के पीछे यह कथा है कि तारकासुर नामक राक्षस के तीन पुत्र थे, तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली। शिवपुत्र कार्तिकेय द्वारा तारकासुर का वध किए जाने के बाद, उसके पुत्रों ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें अमरता का वरदान देने से मना कर दिया, लेकिन उन्हें अद्भुत शक्ति दी। 
	 
	उन्होंने मयदानव की सहायता से आकाश में तीन नगरों (त्रिपुरों) का निर्माण किया। ये नगर सोने, चांदी और लोहे के थे और अत्यंत शक्तिशाली थे। इन तीनों असुरों ने तीनों लोकों पर कब्जा करके देवताओं को आतंकित करना शुरू कर दिया। सभी देवता परेशान होकर भगवान शिव के पास सहायता के लिए पहुंचे।
	 
	तब देवताओं की विनती पर, भगवान शिव ने एक दिव्य रथ का निर्माण किया और स्वयं उस पर सवार हुए। भयंकर युद्ध के बाद, जब ये तीनों नगर (त्रिपुर) एक सीध में आए, तब भगवान शिव ने अपने एक बाण से तीनों का नाश कर दिया। यह वध कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।