Moryayi chath 2024 : हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ या ललिता षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। इसे अन्य नाम सूर्य षष्ठी, मोर छठ, मोरबाई छठ, मोहर छठ आदि से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा तथा व्रत किया जाता है।
पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में दिन सोमवार, 09 सितंबर को मोरयाई छठ मनाई जाएगी। यह व्रत संतान प्राप्ति कराने वाला तथा संतान के जीवन को खुशहाल बनाने वाला माना गया है। पुराणों के मुताबिक आदिशक्ति त्रिपुरा सुंदरी मां ललिता सभी दस महाविद्याओं में से एक हैं। इस माता की दो भुजाएं हैं, वे गौर वर्ण और कमल पर विराजमान है, जिनकी उपासना भाद्रपद शुक्ल षष्ठी तिथि पर की जाती है। इतना ही नहीं यह व्रत नेत्र रोग तथा कुष्ठ रोग से मुक्ति देने वाला माना गया है।
इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद मां ललिता का श्रृंगार कर विधिवत पूजन करना चाहिए। तथा त्रिपुरा सुंदरी के साथ भगवान शिव जी, गौरा पार्वती, भगवान शालिग्राम और कार्तिकेय की भी आराधना इस दिन की जाती है।
• भाद्रपद शुक्ल षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति त्रिपुरा सुंदरी और मोरयाई छठ के दिन पूजन करने से पहले से भगवान शालिग्राम जी का विग्रह, कार्तिकेय का चित्र, शिव-गौरी की मूर्तियों सहित तांबे का लोटा, नारियल, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर, गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, मौसमी फल, मेवा, मौली, आसन आदि सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
• सबसे पहले दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
• घर के ईशान कोण में पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठकर पूजन करें।
• ललिता षष्ठी व्रत के दिन षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करें।
• मां ललिता के साथ स्कंदमाता और शिव जी की पूजा करें।
• इस दिन कई जगहों पर विष्णु जी, शिव जी और गौरी पार्वती का चंदन से पूजा का भी चलन है।
• पूजन के दौरान मंत्र- 'ॐ ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा' से षष्ठी देवी का पूजन करें।
• पूजन के बाद मालपुआ, खीर एवं मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।
• अंत में माता का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें।
• अगर उपरोक्त मंत्र को पढ़ते समय कठिनाई महसूस हो रही हो तो आप नीचे लिखे मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
• कम से कम 108 बार आज मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः।।' का जाप करें।
• अंत में ललिता माता की आरती करें।
• इस दिन 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप अधिक से अधिक अवश्य करें।
• इस दिन शिव चालीसा, ललिता चालीसा का पाठ करना उचित रहता है।
• पूजन के अंत में माता ललिता से संतान सुख की प्रार्थना करते हुए उन्हें प्रणाम करके अपनी मनोकामना कहकर उसे पूर्ण करने की विनती करें।
• मान्यतानुसार माता के पूजन के अलावा इस दिन शादी की मोर का विसर्जन किया जाता है।
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