इस व्रत के संबंध में धार्मिक मान्यता है कि मधुश्रावणी व्रत में पूजा के दौरान नवविवाहित महिलाएं अपने मायके जाकर वहीं इस पर्व को मनाती हैं। और इस व्रत-पूजन के उपयोग आने वाली सभी चीजें कपड़े, श्रृंगार सामग्री, पूजन सामग्री की व्यवस्था और विवाहिता की भोजन की चीजें भी ससुराल से ही आती है। इन दिनों माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। इन दिनों ठुमरी, कजरी गाकर देवी पार्वती को प्रसन्न किया जाता हैं तथा मधुश्रावणी की पूजा के बाद कथा पढ़ी और सुनीं जाती हैं। नवविवाहिता इस पूजन के माध्यम से अपने सुहाग की रक्षा के लिए कामना करती हैं।