पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व
पूर्णिमा को वैज्ञानिक रूप से भी अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पानी को अपनी और खींचता है। मनुष्य के अंदर भी 70 प्रतिशत पानी की ही मात्रा होती है। अत: पूर्णिमा के दिन मनुष्य का स्वभाव कुछ हद तक परिवर्तित हो जाता है।
* इस दिन सूर्योदय से उपवास रख चंद्र दर्शन के बाद समाप्त किया जाता है।
* पूर्णिमा के दिन दान का भी विशेष महत्व है। इसलिए अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को दान अवश्य दें।
* माघ मास की पूर्णिमा को माघ पूर्णिमा कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 27 नक्षत्रों में एक मघा से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति हुई है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में वास करते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। इस बार माघ पूर्णिमा 27 फरवरी को है। प्रयागराज में एक महीने तक चलने वाला कल्पवास का समापन भी माघ पूर्णिमा के दिन ही होता है।
* माघ पूर्णिमा पर सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु की पूजा के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। इसके बाद जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, कंबल, तिल, गुड़, घी, फल और अन्न आदि दान करें। इस दिन सोने और चांदी का भी दान शुभ माना गया है। इसके अलावा इस दिन गौ (गाय) दान करने से विशेष लाभ मिलता है। माघ पूर्णिमा पर व्रत रखना शुभ फलदायक माना गया है। अगर संभव ना हो तो संध्या फलाहार किया जा सकता है। व्रत के दौरान किसी पर गुस्सा करना शुभ नहीं माना गया है। इसके अलावा घरेलू कलह से भी बचना चाहिए। इस तरह माघ पूर्णिमा के व्रत को संयम से रखा जाए तो पुण्य फल प्राप्त होता है।