Mahalakshmi Vrat 2021 : महाराष्ट्रीयन परिवारों का 3 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ, जानिए कैसे करें पूजा

Webdunia
सोमवार, 13 सितम्बर 2021 (11:45 IST)
दक्षिण भारत और उत्तर भारत में महालक्ष्मी की पूजा अलग-अलग विधि-विधान से होती है। फिर भी कुछा बातें कॉमन रहती है। महाराष्ट्रीयन परिवारों का 3 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ हो गया है। इस दौरान तीन दिन विशेष पूजा होती है। आओ जानते हैं कि सरल तरीके से कैसे करें पूजा। 
 
महालक्ष्मी मूर्ति स्थापना और पूजा विधि
mahalaxmi sthapana vidhi and puja vidhi
 
महालक्ष्मी स्थापना :
1. प्रात:काल उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें।
 
2. पूजा स्थल को साफ करके मां महालक्ष्मी की मूर्ति को चौकी सजाएं।
 
3. चौकी यां पाट पर लाल, पीला या केसरिये रंग का सूती कपड़ा बिछाकर उस पर स्वास्तिक बनाएं थोड़े चावल रखें।
 
4. चारों ओर फूल और आम के पत्तों से सजावट करें और पाट के सामने रंगोली बनाएं। श्रीयंत्र के साथ ही तांबे के कलश में पानी भरकर उस पर नारियल रखें।
 
5. आसपास सुगंधित धूप, दीप, अगरबत्ती, आरती की थाली, आरती पुस्तक, प्रसाद आदि पहले से रख लें। अब परिवार के सभी सददस्य एकत्रित होकर महालक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते हुए मूर्ति को पाट पर विराजमान करें। अब विधिवत पूजा करके आरती करें और प्रसाद बांटें।
 
6. मंत्र : लक्ष्मी बीज मंत्र 'ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः', महालक्ष्मी मंत्र 'ओम श्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ओम श्रीं श्रीं महालक्ष्मीये नमः' या लक्ष्मी गायत्री मंत्र 'ऊं श्री महालक्ष्मीये च विद्महे विष्णु पटनाय च धिमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयत् ऊं' का जाप कर सकते हैं।
ALSO READ: आज से श्री महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ, जानिए महत्व, कथा, प्रसाद, पूजन विधि एवं मुहूर्त
महालक्ष्मी पूजा : 
1. देवी महालक्ष्मी के सामने हाथ जोड़ें और व्रत का संकल्‍प लें। 
 
2. देवी को दीप-धूप दिखाएं और घी का दीया जलाएं। पूजन में सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
 
3. फिर देवी के मस्तक पर हलदी कुंकू और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
 
4. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
 
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। 
 
6. माता को श्रीफल, खीर, हलुआ, ईख (गन्ना), सिघाड़ा, मखाना, बताशे, अनार, पान और आम्रबेल का भोग अर्पित कर सकते हैं। पीले रंग के केसर भात भी माता को अर्पित करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। माता लक्ष्मी को पीले और सफेद रंग के मिष्ठान भी अर्पित कर सकते हैं।
 
7. महालक्ष्‍मी व्रत की कथा पढ़ें। अंत में आरती करें। आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
 
8. शाम को पूजा करके व्रत खोल सकते हैं। हर क्षेत्र में पारण का समय अलग अलग होता है।
 
9. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।
 
10. महालक्ष्मी शंख घर में रखकर उसकी नियमित पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती है। महालक्ष्मी शंख के होने से धन और समृद्धि के रास्ते खुल जाते हैं।

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख