मंगला गौरी कथा- Mangala Gauri Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी। लेकिन उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे काफी दुखी रहा करते थे। ईश्वर की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह अल्पायु था।
- मां मंगला गौरी (पार्वती जी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
- फिर निम्न मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
अर्थात्- मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि एवं मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं।
- यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
- माता के पूजन के पश्चात उनको (सभी वस्तुएं 16 की संख्या में होनी चाहिए) 16 मालाएं, लौंग, सुपारी, इलायची, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री, 16 चूड़ियां तथा मिठाई अर्पण करें। इसके अलावा 5 प्रकार के सूखे मेवे, 7 प्रकार के अनाज-धान्य (जिसमें गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) आदि चढ़ाएं।
- पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है।
- इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।
मंगला गौरी व्रत के शुभ मुहूर्त- Mangala Gauri Pooja Muhurat
19 जुलाई 2022, Tuseday
सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह- 05.35 से दोपहर 12.12 मिनट तक।