Marshish Purnima upay 2023 : मार्गशीर्ष पूर्णिमा का खास महत्व है। इस दिन व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु की पूजा करने का महत्व है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह से ही सतयुग काल आरंभ हुआ था। आओ जानते हैं कि कब से प्रारंभ होगी पूर्णिमा और कब होगी समाप्त। साथ ही जानिए व्रत रखने, पूजा करने का खास महत्व और 5 मुख्य उपाय।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि:
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 26 दिसम्बर 2023 को सुबह 05:46 से प्रारंभ।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 27 दिसम्बर 2023 को सुबह 06:02 पर समाप्त।
पूजा का शुभ अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:01 से 12:42 तक।
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 05:22 से 06:17 तक।
प्रातः सन्ध्या : सुबह 05:50 से 07:12 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:29 से 05:56 तक।
क्या करते हैं इस दिन : इस दिन श्रीहरि के नारायण रूप की पूजा करते हैं। सुबह उठकर या तिथि प्रारंभ होने के पूर्व व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर आचमनादि करके ऊँ नमोः नारायण कहकर श्रीहरि का आह्वाहन करते हैं और फिर उनकी पंचोपचार पूजा करते हैं। जिसमें गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि भगवान अर्पित करके आरती करते हैं। पूजा आरती के बाद हवन करते हैं। हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति देते हैं। हवन की समाप्ति के बाद भगवान का ध्यान करें। रात्रि को भगवान नारायण की मूर्ति के पास ही शयन करें। दूसरे दिन व्रत का पारण करने के लिए यथाशक्ति गरीबों को दान-दक्षिणा दें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व : श्रीमदभागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष का पवित्र महीना हूं। इस माह में आने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहते हैं। पुराणों में इस दिन स्नान, दान और तप का विशेष महत्व बताया गया है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन हरिद्वार, बनारस, मथुरा और प्रयागराज आदि जगहों पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और तप करते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के उपाय :
इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन दिए गए दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना ज्यादा बताया गया है। अत: यथाशक्ति दान दें।
इस दिन भगवान सत्यनारायण कथा सुनना और पूजा करने का खास महत्व है। यह बहुत फलदायी बताई गई है।
इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे घर का दीपक जलाकर वृक्ष की 11 परिक्रमा करें।
इस दिन भगवान श्री दत्तात्रेय की पूजा करें। दत्तात्रेय महाराज श्रीहरि विष्णु के ही अवतार हैं।