* तिल संकटा चतुर्थी : पढ़ें श्रीगणेश की पौराणिक व्रत कथा...
माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को तिल-संकटा चौथ कहते हैं। इसे संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है और शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को तिलकुंद चौथ, तिलकूट चतुर्थी, वरद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इसके अन्य नाम तिलसंकटा चौथ, माघी चतुर्थी, वरद चौथ आदि भी हैं। इस दिन तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्रीगणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं।
देवताओं की बात सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय व गणेशजी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा। भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा।