Sil saptami 2025 : भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अपना विशेष महत्व है। शीतला सप्तमी और अष्टमी का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे बासोड़ा भी कहा जाता है।इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और उन्हें बासी खाने का भोग लगाया जाता है। शीतला माता की पूजा में विशेष रूप से बासी खाने का भोग अर्पित किया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में सील सप्तमी 21 मार्च को और शीतला अष्टमी 22 मार्च को रहेगी। इस दिन शीतला माता की पूजा कर घर-परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्यता की कामना की जाती है। क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों इस दिन बासी खाना खाने और भोग लगाने की परंपरा है? साथ ही क्या बासी खाना सेहत के लिए फायदेमंद है? आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।
शीतला सप्तमी-अष्टमी का महत्व:
शीतला सप्तमी और अष्टमी का पर्व होली के बाद मनाया जाता है। इसे 'बासौड़ा' भी कहा जाता है। शीतला सप्तमी का पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा कर बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि शीतला माता को ठंडा और बासी भोजन अत्यंत प्रिय है। इस दिन महिलाएं प्रातःकाल उठकर शीतला माता के मंदिर में जाकर पूजन करती हैं और वहां बासी खाने का प्रसाद चढ़ाती हैं। मुख्य रूप से गुड़, चूरमा, बासी पूड़ी, बाजरे की रोटी और कढ़ी का भोग लगाया जाता है। इस पर्व का एक प्रमुख उद्देश्य रोग-निवारण और स्वच्छता का संदेश देना है। शीतला माता को देवी पार्वती का रूप माना जाता है, जो विशेष रूप से चेचक और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव करती हैं। शीतला माता को ठंडक और शीतलता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पूजा में गर्म या ताजे भोजन का प्रयोग नहीं होता।
क्यों चढ़ाया जाता है बासी खाने का भोग?
तपन और शीतलता का संतुलन: होली का त्योहार गर्मी का प्रतीक होता है, जबकि शीतला माता को शीतलता का प्रतीक माना जाता है। बासी खाने का भोग शीतलता का प्रतीक है और इसे ग्रहण कर मां को प्रसन्न किया जाता है।
धार्मिक मान्यता: धार्मिक मान्यता के अनुसार, होली के दिन ताजे खाने का भोग चढ़ाया जाता है, जबकि शीतला सप्तमी पर बासी भोजन का। इससे यह संकेत मिलता है कि जीवन में शीतलता और धैर्य का महत्व कितना है।
संक्रामक रोगों से बचाव: प्राचीन समय में चेचक और खसरा जैसी बीमारियां अधिक फैलती थीं। इस दिन खाना न पकाने की परंपरा इसलिए भी है ताकि भोजन में धूल-मिट्टी और संक्रमण न लगे।
क्या बासी खाना सेहत के लिए फायदेमंद है?
बासी खाने को लेकर अलग-अलग धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे सेहत के लिए हानिकारक मानते हैं, जबकि कुछ इसे पाचन शक्ति के लिए लाभकारी मानते हैं।
बासी खाने के फायदे:
पाचन में सहायक: बासी खाना ठंडा होने के कारण पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव नहीं डालता।
प्रोबायोटिक्स से भरपूर: बासी चावल और दही में प्राकृतिक रूप से प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।
ऊर्जा का स्त्रोत: बासी खाने में ऊर्जा बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व भी होते हैं।
शीतला सप्तमी-अष्टमी पर बासी खाने का भोग लगाने की परंपरा का वैज्ञानिक आधार भी है। गर्मी के मौसम में ताजे खाने की तुलना में बासी खाने को सही तरीके से संग्रहित करके खाने से पाचन प्रक्रिया में सहायता मिलती है। यही कारण है कि इस दिन बासी भोजन चढ़ाया जाता है और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। शीतला सप्तमी-अष्टमी का पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन शैली का भी संदेश देता है। हालांकि, यदि आप सेहत को प्राथमिकता देते हैं, तो बासी खाने को लेकर सावधानी जरूर बरतें।
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