भौम प्रदोष 2025: जानें व्रत का महत्व, विधि, मुहूर्त, मंत्र और कथा

WD Feature Desk

मंगलवार, 11 मार्च 2025 (10:00 IST)
Mangal Pradosh 2025: भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव, मंगल देव और हनुमान जी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है। यह व्रत भगवान शिव और मंगल देव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के समय रखा जाता है।ALSO READ: होलाष्टक में भूलकर भी न करें ये काम, हो सकता है नुकसान
 
भौम प्रदोष व्रत का महत्व, पूजा विधि, मंत्र तथा खास बातें और कथा इस प्रकार है:
 
भौम प्रदोष व्रत का महत्व: 
• भगवान शिव और हनुमान जी की कृपा: इस व्रत को करने से भगवान शिव और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
• मंगल दोष से मुक्ति: भौम प्रदोष व्रत मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है।
• कर्ज से मुक्ति: यह व्रत कर्ज से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है।
• मानसिक शांति: यह व्रत मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
• शारीरिक कष्टों से मुक्ति: भौम प्रदोष व्रत शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाने में भी मददगार होता है।
• सुख-समृद्धि: भौम प्रदोष व्रत सुख-समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि करता है।
 
मार्च 11, 2025, मंगलवार : भौम प्रदोष व्रत के मुहूर्त :
 
त्रयोदशी पूजन का समय : शाम 06 बजकर 27 से 08 बजकर 53 मिनट तक।
कुल अवधि : 02 घंटे 25 मिनट्स
फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी का प्रारम्भ- 11 मार्च को सुबह 08 बजका 13 मिनट से, 
त्रयोदशी की समाप्ति- 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर। 
 
भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि:
1. व्रत का संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. शिवलिंग का अभिषेक: प्रदोष काल में शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें।
3. भगवान शिव की पूजा: भगवान शिव को सफेद फूल, बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं।
4. हनुमान जी की पूजा: हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल और बूंदी चढ़ाएं।
5. भौम प्रदोष व्रत कथा: भौम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
6. आरती: भगवान शिव और हनुमान जी की आरती करें।
7. दान: आज के दिन अपनी सामर्थ्यनुसार दान करें।
8. फलाहार: व्रत के दौरान केवल फलाहार करें।
 
भौम प्रदोष व्रत के दौरान इन मंत्रों का जाप करें:
- 'ॐ नमः शिवाय'
- 'ॐ हनुमते नमः'
- 'ॐ भौमाय नमः'
 
भौम प्रदोष व्रत के दौरान इन बातों का ध्यान रखें:
• व्रत के दौरान तामसिक भोजन और मदिरा से दूर रहें।
• व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के बुरे विचारों से बचें।
• व्रत के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
 
भौम प्रदोष व्रत की कथा: एक नगर में एक वृद्धा रहती थी। उसका एक ही पुत्र था। वृद्धा की हनुमान जी पर गहरी आस्था थी। वह प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमान जी की आराधना करती थी। एक बार हनुमान जी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने की सोची। हनुमान जी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे?

पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा महाराज। हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे। वृद्धा दुविधा में पड़ गई। अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज। लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी। साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा। यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी। उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया।

वेशधारी साधु हनुमान जी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई। आग जलाकर दु:खी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई। इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले।

इस पर वृद्धा बोली- उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ। लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई। अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी। हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया। इस तरह भौम प्रदोष व्रत के दिन इसे पै़ने और सुनने का बहुत महत्व धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है।
 
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