Sindhara dooj 2022 : चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा के दूसरे दिन द्वितीया पर सिंधारा दौज या सिंधारा दूज का पर्व मनाया जाता है। सिंधारा दूज को सौभाग्य दूज, गौरी द्वितिया या स्थान्य वृद्धि के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार सिंधारा दूज पर्व 3 अप्रैल 2022 दिन रविवार को मनाया जाएगा।
कैसे मनाते हैं यह पर्व : सिंधारा दूज को बहुत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर माता गौरी और ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करती हैं। महिलाएं एक-दूसरे के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं। इस दिन महिलाएं अपने पारंपरिक कपड़े और आभूषण पहनती हैं। वे इस दिन नई चूड़ियां खरीदती हैं। इस दिन विवाहित और अविवाहित महिलाएं दोनों हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती हैं। सिंधारा दूज पर बहुओं को उनकी सास द्वारा उपहार देने की परंपरा भी है।
2. शाम को, गौर माता की पूजा पूरी भक्ति के साथ की जाती है।
3. महिलाएं देवी की मूर्ति की पूजा करती हैं और धूप, दीपक, चावल, फूल और मिठाई के रूप में कई प्रसाद चढ़ाती हैं।
4. पूजा के बाद, बहुओं को अपनी सास को बया भेंट करती हैं।
सिंधारा दूज का महत्त्व : इस दिन चंचुला देवी ने मां पार्वती को सुन्दर वस्त्र आभूषण चुनरी चढ़ाई थी जिससे प्रसन्न होकर मां ने उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। इसी कारण इस सास अपनी बहुओं को उपहार भेंट करती हैं और बहुएं इन उपहारों के साथ अपने मायके जाती है। सिंधारा दूज के दिन, बहुएं अपने माता-पिता द्वारा दिए गए बाया लेकर अपने ससुराल वापस आ जाती हैं। बाया में फल, व्यंजन और मिठाई और धन शामिल होता है। संध्याकाल में गौर माता या माता पार्वती की पूजा करने के बाद, अपने मायके से मिला बाया अपनी सास को यह भेंट करती हैं।