सोम प्रदोष 2022 : मुहूर्त से लेकर महत्व तक और व्रत विधि से लेकर मंत्र तक जानिए 1 क्लिक पर हर बात

आषाढ़ माह में सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) 11 जुलाई 2022, दिन सोमवार को मनाया जाएगा। इस बार 4 खास योगों में सोम प्रदोष व्रत पड़ रहा हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार त्रयोदशी तिथि के दिन जब भी सोमवार आता है, उस दिन को सोम प्रदोष व्रत किया जाता है। अत: शिव भक्तों के लिए सोमवार का यह व्रत बहुत खास है। 
 
महत्व- धार्मिक ग्रंथों में प्रदोष व्रत की बहुत महिमा बताई गई है। इस दिन सच्चे मन से प्रदोष काल में भगवान शिवशंकर जी की पूजा करने से जहां सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, वहीं मोक्ष की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह प्रदोष व्रत पूरे मन से करना चाहिए।

मान्यतानुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों का दान करने के बराबर मिलता है। प्रदोष में बिना कुछ खाए ही व्रत रखने का विधान है। ऐसा करना संभव न हो तो एक बार फल खाकर उपवास कर सकते हैं। सोम प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है तथा चंद्र ग्रह के दोष दूर होते है। जिन जातकों के कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें सोम प्रदोष व्रत अवश्य ही करना चाहिए। 

ज्ञात हो कि आषाढ़ मास में सोम प्रदोष व्रत के दिन ही जया पार्वती व्रत भी पड़ रहा है और इसमें माता पार्वती का पूजन किया जाता है। यह व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति देने वाला माना गया है। अत: इस सोमवार का महत्व और अधिक बढ़ गया है। 
 
यहां जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और मंत्र-
 
सोम प्रदोष व्रत 2022 की तिथि एवं शुभ मुहूर्त-Pradosh 2022 Date 
 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार को यानी सोम प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि, र​वि, शुक्ल और ब्रह्म योग का शुभ संयोग एक साथ बन रहा है। सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05.31 से 07.50 मिनट तक तथा शुक्ल योग सुबह से लेकर रात्रि 09.02 मिनट तक रहेगा तत्पश्चात ब्रह्म योग बनेगा तथा रवि योग 12 जुलाई को प्रात: 05.15 मिनट से सुबह 05.32 मिनट तक रहेगा।
 
शुभ मुहूर्त-Pradosh vrat shubh muhurt
 
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि-11 जुलाई 2022, सोमवार को 11.13 मिनट से प्रारंभ
मंगलवार, 12 जुलाई को सुबह 07.46 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन।
प्रदोष पूजन का सबसे शुभ दिन- 11 जुलाई को सायंकाल में। 
 
सोम प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त-Pradosh vrat pujan time
 
इस बार 11 जुलाई को सोम प्रदोष व्रत पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त सायं 07.22 मिनट से रात्रि 09.24 मिनट तक रहेगा, जिसमें शिव पूजन की कुल अवधि के लिए- 02 घंटे से अधिक का समय प्राप्त हो रहा है। 
 
व्रत विधि- vrat vidhi
 
- सोम प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
 
- पूजन के समय भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगा जल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
 
- त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से 3 घड़ी पूर्व शिवजी का पूजन करना चाहिए।

 
- सायंकाल प्रदोष के समय पुन: स्नान करके इसी तरह से शिव जी की पूजा करें। 
 
- भगवान शिव जी को घी और शकर मिले मिष्ठान्न अथवा मिठाई का भोग लगाएं। 
 
- अब आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। 
 
- इसके बाद शिव जी की आरती करें।
 
- रात्रि जागरण करें।
 
इस तरह व्रत करने वालों की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
 
कथा-Som Pradosh Katha

 
सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई आश्रयदाता नहीं था इसलिए प्रात: होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी।

भिक्षाटन से ही वह स्वयं व पुत्र का पेट पालती थी। एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। 
 
शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा। एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई।

अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया।
 
ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा।

राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जिस तरह राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के का जीवन खुशहाल हो गया वैसे ही सभी पर शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। अत: सोम प्रदोष व्रत के दिन यह कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए। 
 
शिव मंत्र-
 
- ॐ शिवाय नम:।
 
- ॐ सों सोमाय नम:। 
 
- ॐ नम: शिवाय।
 
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
 
- ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ।
 
- ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं।

Pradosh Worship

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी