falgun amavasya 2024: फाल्गुन अमावस्या की पौराणिक कथा

Amavasya katha 
 
 
HIGHLIGHTS
• इस बार फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च, रविवार को मनाई जा रही है। 
• फाल्गुन अमावस्या की कथा यहां पढ़ें।
• फाल्गुन अमावस्या पर पढ़ी जा‍ती है एक दीन ब्राह्मण परिवार की कथा।

ALSO READ: फाल्गुन अमावस्या कब है, जानें महत्व | Phalgun Amavasya 2024
 
Falgun Amavasya Ki Katha: फाल्गुन अमावस्या की पौराणिक कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण परिवार था, जिसमें पति-पत्नी और उनकी एक पुत्री थी। उनका जीवन सामान्य ही चल रहा था। जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए, उनकी पुत्री भी धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। बढ़ती उम्र के साथ उसमें स्त्रियों के गुणों का भी विकास होने लगा था। वह दिखने में अत्यंत ही सुंदर, सुशील और सर्व गुण सम्पन्न थी, लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। 
 
एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। ब्राह्मण पुत्री की सेवा से साधु महाराज का मन बहुत प्रसन्न हुआ और उन्होंने कन्या को लंबी उम्र का आशीर्वाद तो दिया, साथ ही यह भी बताया कि उसके हथेली में विधवा योग है।
ALSO READ: फाल्गुन अमावस्या के अचूक उपायों से होगा शुभ
 
इस बात से चिंतित होकर दीन ब्राह्मण ने पंडित से पूछा- पुत्री के इस वैधव्य दोष का निवारण कैसे होगा? 
 
साधु महाराज ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबिन जाति की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार-विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है। यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दें, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। 
 
साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है। यह बात सुनकर ब्राह्मणि ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने की बात कही। अगले दिन कन्या प्रात: काल ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती। एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि- तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता। 
 
बहू ने कहा- मां जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूं। इस पर दोनों सास-बहू निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है। कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। 
 
जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं? तब कन्या ने साधु द्वारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा। सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया, उसका पति मर गया। 
 
उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी। उस दिन अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया।

ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में वापस जान आ गई। धोबिन का पति वापस जीवित हो गया। इसलिए माना जाता है कि इस दिन व्रत आदि करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। अतः जो व्यक्ति अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं की भंवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश का पूजन करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ALSO READ: फाल्गुन मास का महत्व और पौराणिक कथा

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी