सूर्य षष्ठी के 'ॐ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य: श्रीं ह्रीं मह्यं लक्ष्मीं प्रयच्छ' इस मंत्र का जाप करना चाहिए। जाप पूर्ण होने के पश्चात सूर्यदेव को तांबे के कलश से अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। अर्घ्य चढ़ाने के जल में रोली, शकर और अक्षत डालने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होकर सुख-सौभाग्य, आयु, धन-धान्य, यश-विद्या आदि देते हैं।