2nd Mangala Gauri Vrat 2025: मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने और विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए यह व्रत रख सकती हैं। इस बार द्वितीय मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई 2025, मंगलवार को पड़ रहा है। आइए यहां जानते हैं इस व्रत के बारे में... ALSO READ: सावन मास के दूसरे मंगला गौरी व्रत पर भौम प्रदोष का दुर्लभ संयोग, कर्ज से मुक्ति के 3 अचूक उपाय
द्वितीय मंगला गौरी व्रत मंगला गौरी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त:
मंगला गौरी व्रत में पूजा के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं होता, बल्कि पूरे दिन पूजा की जा सकती है। हालांकि, कुछ शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
• अभिजीत मुहूर्त: 22 जुलाई 2025 को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:19 से 01:11 मिनट तक रहेगा। यह पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है।
• प्रदोष काल: शाम के समय प्रदोष काल में भी पूजा करना शुभ माना जाता है।
मंगला गौरी व्रत 2025 की तिथियां:
सावन मास 11 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है, इसलिए 2025 में कुल 4 मंगला गौरी व्रत पड़ेंगे:
• पहला मंगला गौरी व्रत: 15 जुलाई 2025, मंगलवार
• दूसरा मंगला गौरी व्रत: 22 जुलाई 2025, मंगलवार
• तीसरा मंगला गौरी व्रत: 29 जुलाई 2025, मंगलवार
• चौथा मंगला गौरी व्रत: 05 अगस्त 2025, मंगलवार
मंगला गौरी व्रत के दिन क्या करना चाहिए:
मंगला गौरी व्रत के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन किए जाने वाले प्रमुख कार्य और पूजा विधि इस प्रकार है:
1. सुबह स्नान और संकल्प: मंगलवार की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
- हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें, 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।' यह मंत्र बोलते हुए व्रत का संकल्प लें।
2. पूजा की तैयारी: एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- उस पर माता मंगला गौरी/ पार्वती जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- एक कलश में गंगाजल और शुद्ध जल भरकर स्थापित करें, उसमें आम के पत्ते भी डाल सकते हैं।
- एक गेहूं के आटे का दीपक बनाएं, उसमें 16 बत्तियां और देसी घी डालकर देवी के सामने प्रज्वलित करें।
3. पूजा विधि:
- सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
- फिर कलश की पूजा करें।
- माता मंगला गौरी का गंगाजल से अभिषेक करें।
- उन्हें 16 की संख्या में विभिन्न वस्तुएं अर्पित करें। इसमें 16 मालाएं, 16 लौंग, 16 सुपारी, 16 इलायची, 16 पान, 16 लड्डू, 16 फल, 16 फूल, 16 चूड़ियां और सुहाग की सभी सामग्री (सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, महावर आदि) शामिल होती हैं।
- कमल के फूलों की माला चढ़ाएं और सिंदूर अर्पित करें।
- माता गौरी को समर्पित मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान करें।
- मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
- अंत में, माता मंगला गौरी की आरती करें।
- पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
- पूजा संपन्न होने के बाद किसी सुहागिन महिला से आशीर्वाद लेना न भूलें।
- व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए उद्यापन करना भी आवश्यक है। 16 मंगला गौरी व्रत पूरे होने पर देवी की विधि-विधान से पूजा और हवन करवाकर उद्यापन करें। यह व्रत वैवाहिक जीवन में सुख-शांति, पति की लंबी आयु और संतान सुख के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
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