सीता नवमी व्रत की कथा, मंत्र, मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय एक साथ
Sita Navami 2023
प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी/जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2023) पर्व मनाया जाता है। वर्ष 2023 में 29 अप्रैल, दिन शनिवार को यह पर्व मनाया जा रहा है। मान्यतानुसार इस दिन व्रत रखकर प्रभु श्रीराम और माता सीता का पूजन करने से 16 महान दान, पृथ्वी दान तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल प्राप्त होता है। आइए यहां जानते हैं इस व्रत की खास जानकारी-
सीता नवमी कथा : Devi Sita Katha
सीता नवमी की पौराणिक कथा के अनुसार मारवाड़ क्षेत्र में एक वेदवादी श्रेष्ठ धर्मधुरीण ब्राह्मण निवास करते थे। उनका नाम देवदत्त था। उन ब्राह्मण की बड़ी सुंदर रूपगर्विता पत्नी थी, उसका नाम शोभना था। ब्राह्मण देवता जीविका के लिए अपने ग्राम से अन्य किसी ग्राम में भिक्षाटन के लिए गए हुए थे।
इधर ब्राह्मणी कुसंगत में फंसकर व्यभिचार में प्रवृत्त हो गई। अब तो पूरे गांव में उसके इस निंदित कर्म की चर्चाएं होने लगीं। परंतु उस दुष्टा ने गांव ही जलवा दिया। दुष्कर्मों में रत रहने वाली वह दुर्बुद्धि मरी तो उसका अगला जन्म चांडाल के घर में हुआ। पति का त्याग करने से वह चांडालिनी बनी, ग्राम जलाने से उसे भीषण कुष्ठ हो गया तथा व्यभिचार-कर्म के कारण वह अंधी भी हो गई।
अपने कर्म का फल उसे भोगना ही था। इस प्रकार वह अपने कर्म के योग से दिनों दिन दारुण दुख प्राप्त करती हुई देश-देशांतर में भटकने लगी। एक बार दैवयोग से वह भटकती हुई कौशलपुरी पहुंच गई। संयोगवश उस दिन वैशाख मास, शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी, जो समस्त पापों का नाश करने में समर्थ है।
सीता (जानकी) नवमी के पावन उत्सव पर भूख-प्यास से व्याकुल वह दुखियारी इस प्रकार प्रार्थना करने लगी- हे सज्जनों! मुझ पर कृपा कर कुछ भोजन सामग्री प्रदान करो। मैं भूख से मर रही हूं- ऐसा कहती हुई वह स्त्री श्री कनक भवन के सामने बने एक हजार पुष्प मंडित स्तंभों से गुजरती हुई उसमें प्रविष्ट हुई। उसने पुनः पुकार लगाई- भैया! कोई तो मेरी मदद करो- कुछ भोजन दे दो।
इतने में एक भक्त ने उससे कहा- देवी! आज तो सीता नवमी है, भोजन में अन्न देने वाले को पाप लगता है, इसीलिए आज तो अन्न नहीं मिलेगा। कल पारणा करने के समय आना, ठाकुर जी का प्रसाद भरपेट मिलेगा, किंतु वह नहीं मानी। अधिक कहने पर भक्त ने उसे तुलसी एवं जल प्रदान किया। वह पापिनी भूख से मर गई। किंतु इसी बहाने अनजाने में उससे सीता नवमी का व्रत पूरा हो गया। अब तो परम कृपालिनी ने उसे समस्त पापों से मुक्त कर दिया।
इस व्रत के प्रभाव से वह पापिनी निर्मल होकर स्वर्ग में आनंदपूर्वक अनंत वर्षों तक रही। तत्पश्चात् वह कामरूप देश के महाराज जयसिंह की महारानी काम कला के नाम से विख्यात हुई। जातिस्मरा उस महान साध्वी ने अपने राज्य में अनेक देवालय बनवाए, जिनमें जानकी-रघुनाथ की प्रतिष्ठा करवाई। अत: सीता नवमी पर जो श्रद्धालु माता जानकी का पूजन-अर्चन करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के सुख-सौभाग्य प्राप्त होते हैं।
मंत्र- Mata Sita Mantras
- 'श्रीसीता-रामाय नम:'
- श्रीरामचन्द्राय नम:।
- श्री रामाय नम:।
- श्री सीतायै नम:।
-'श्री सीतायै नम:'
- ॐ जानकीवल्लभाय नमः
सीता नवमी के शुभ मुहूर्त : Sita Jayanti Muhurat
सीता नवमी 29 अप्रैल 2023, शनिवार
वैशाख शुक्ल नवमी तिथि प्रारंभ- 28 अप्रैल 2023 को 04.01 पी एम से
नवमी तिथि का समापन- 29 अप्रैल 2023, शनिवार को 06.22 पी एम पर।
सीता नवमी पूजन का शुभ समय (मध्याह्न) मुहूर्त- 10.59 ए एम से 01.38 पी एम तक।
कुल अवधि- 02 घंटे 38 मिनट्स
अप्रैल 29, 2023 : दिन का चौघड़िया
शुभ- 07.22 ए एम से 09.01 ए एम
चर- 12.19 पी एम से 01.58 पी एम
लाभ- 01.58 पी एम से 03.37 पी एमवार वेला
अमृत- 03.37 पी एम से 05.16 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 06.55 पी एम से 08.16 पी एमकाल रात्रि
शुभ- 09.37 पी एम से 10.57 पी एम
अमृत- 10.57 पी एम से 30 अप्रैल को 12.18 ए एम
चर- 12.18 ए एम से 30 अप्रैल को 01.39 ए एम
लाभ- 04.21 ए एम से 30 अप्रैल को 05.42 ए एम तक।
पूजन विधि : Puja Vidhi
- सीता नवमी के दिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लें।
- एक लकड़ी के पटिये पर पीला वस्त्र बिछाकर माता सीता की श्रीराम सहित मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- राम-सीता की प्रतिमा पर श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
- इस दिन दूध, पुष्प, धूप, दीप एवं नैवेद्य अर्पित करके राम-सीता की संयुक्त रूप से पूजा करें।
- तत्पश्चात आरती करें।
- माता जानकी की जन्म कथा पढ़ें।
- श्री राम तथा माता जानकी के मंत्रों का जाप करें।
- दूध-गुड़ से बने व्यंजन बनाएं और दान करें। संभव हो तो मिट्टी के बर्तन में धान, जल अथवा अन्न भरकर दान करें।
- शाम को पूजा करने के बाद इसी व्यंजन से व्रत खोलें।
उपाय- Sita Jayanti Ke Upay
- सीता नवमी के दिन जानकी स्तोत्र, रामचंद्रष्टाकम्, रामचरित मानस आदि का पाठ करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।
- अगर आपकी कोई खास मनोकामना पूर्ण नहीं हो रही हो तो जानकी जयंती या सीता नवमी के दिन रुद्राक्ष की माला से 'ॐ जानकी रामाभ्यां नमः' मंत्र का 1, 5, 11 या 21 मालाओं का जाप करें।
- सीता नवमी/जानकी जयंती के दिन राम-सीता की एक तस्वीर घर के पूजा स्थान में लाकर रखें तथा उसका प्रतिदिन पूजन करें। इस उपाय से पति-पत्नी के बीच चल रहा कलह दूर होकर मधुर संबंध बनेंगे।
- जानकी जयंती के दिन सीता-राम जी का एक साथ पूजन करके माता सीता की मांग में 7 बार सिंदूर लगाएं और वहीं सिंदूर हर बार अपनी मांग में लगाएं, इससे वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है।
- माता जानकी के साथ प्रभु श्रीराम का पूजन करने से सभी प्रकार के सुख और सौभाग्य प्राप्त होते हैं।
- यदि किसी कन्या की शादी में अड़चनें आ रही हैं गंगा या तुलसी के पेड़ की मिट्टी लेकर राम-सीता की प्रतिमा बनाकर उसका पूजन करके सुहाग सामग्री चढ़ाकर अच्छे वर की प्रार्थना करें।
- सीता नवमी का व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं के वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होती हैं।
- सीता नवमी पर विवाहित महिलाओं द्वारा यह व्रत करने से पति को लंबी आयु मिलती है।
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