दो कारणों से होती है श्री हरिहर की पूजा: पहला यह कि श्री विष्णुजी ने शिवजी के पूजन के समय एक सहस्र कमल पुष्प अर्पित करने का संकल्प लिया था परंतु एक अंतिम पुष्प उन्हें नहीं मिलता तो उन्होंने अपना एक नेत्र ही निकालकर अर्पित कर लिए। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। दूसरा कारण यह कि 4 माह की नींद के बाद विष्णु जी जब जागते हैं तो शिवजी सृष्टि पालन और संचालन का भार पुन: ग्रहण करते। इन्हीं कारणो से वैकुण्ठ चतुर्दशी पर शिवजी और विष्णुजी की संयुक्त रूप से पूजा होती है।
पूजा का सही समय:
वैकुण्ठ चतुर्दशी पर, भगवान विष्णु की पूजा निशीथकाल में की जाती है, जो हिन्दु दिन गणना के अनुसार मध्यरात्रि का समय है। वैकुण्ठ चतुर्दशी निशीथ काल समय रात्रि 11:39 से प्रारंभ होकर 12:32 तक रहेगा।
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 14 नवम्बर 2024 को सुबह 09:43 बजे से।
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 15 नवम्बर 2024 को सुबह 06:19 बजे तक।