5 अप्रैल: अंगारकी विनायकी चतुर्थी व्रत, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र एवं सावधानियां

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इस वर्ष 5 अप्रैल 2022, दिन मंगलवार को विनायकी श्री गणेश चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi Vrat 2022) व्रत मनाया जा रहा है। वैसे तो विनायकी चतुर्थी व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष में आता है, लेकिन अभी नवरात्रि के दिनों में यह व्रत पड़ने से इसका महत्व अधिक बढ़ गया है। इसमें सबसे खास बात यह है कि इस बार मंगलवार के दिन विनायकी चतुर्थी पड़ रही है, तथा मंगलवार को आने वाली चतुर्थी को ही अंगारकी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, जोकि कर्ज मुक्ति के लिए सबसे अधिक उपयुक्त मानी गई है।  
 
जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए अंगारकी चतुर्थी व्रत को बहुत लाभदायी माना गया है। इस व्रत में श्री गणेश को सबसे पहले याद किया जाता है। इस व्रत के संबंध में मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे सालभर की चतुर्थी व्रत करने का फल मिल जाता है। 
 
मंगलवार के दिन आने वाली चतुर्थी व्रत करने से परिवार में सुख-शांति, धन-समृद्धि आती है, प्रगति होती है तथा चिंता एवं रोग का निवारण भी होता है। वैसे तो गणेश चतुर्थी हर महीने में दो बार पड़ती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तथा अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। साथ ही जब यह विशेषकर मंगलवार को पड़ती है तब उसे अंगारकी गणेश चतुर्थी तथा मंगलवार के अलावा दूसरे किसी भी दिन आने वाली चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है।
 
इस बार चैत्र माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 5 अप्रैल 2022 (मंगलवार), के दिन पड़ रही है। इस संबंध में पौराणिक जानकारी के अनुसार भगवान गणेश ने अंगारक (मंगल देव) की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान देकर कहा था कि जब भी मंगलवार के दिन चतुर्थी पड़ेगी तो उसे अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा। अत: इस दिन श्री गणेश के साथ-साथ मंगल देव का पूजन विशेष तौर पर किया जाता है, जो कि कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए अतिलाभदायी है। 
 
धर्मशास्त्रों के अनुसार विनायकी चतुर्थी व्रत की पूजा दोपहर में ही की जाती हैं, क्योंकि इस दिन शाम के समय में चंद्रमा नहीं देखने की मान्यता है। इस दिन चंद्रमा को देखने से झूठा कलंक लगता हैं, ऐसी मान्यता है। पौराणिक जानकारी के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने विनायक चतुर्थी के चंद्रमा देखा तो उन पर स्यामंतक मणि चुराने का मिथ्या कलंक लगा था। अत: इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। 
 
विनायक चतुर्थी 2022 पूजन के शुभ मुहूर्त-Vinayak Chaturthi 2022 Puja Muhurat
 
- इस बार चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ दिन सोमवार, 04 अप्रैल 2022 को दोपहर 01.54 मिनट से शुरू होकर मंगलवार, 05 अप्रैल 2022 को शाम 03.45 मिनट पर चतुर्थी का समापन होगा। उदयातिथि के अनुसार मंगलवार, 05 अप्रैल विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। 
 
- इस बार चैत्र मा​ह की अंगारकी विनायकी चतुर्थी पर प्रीति योग बन रहा है, जो सुबह 08.00 बजे तक तथा सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो सुबह 06:07 मिनट से सायं 04.52 मिनट तक रहेगा। इसी समयावधि में रवि योग है, जिसका शुभ मुहूर्त दिन में 11.59 मिनट से दोपहर 12.49 मिनट तक रहेगा।
 
- 05 अप्रैल को विनायक चतुर्थी पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11.09 मिनट से दोपहर 01.39 मिनट तक। 
 
* गणेश आराधना के लिए 16 उपचार माने गए हैं-
 
- 1. आवाहन, 2. आसन, 3. पाद्य (भगवान का स्नान‍ किया हुआ जल), 4. अर्घ्य, 5. आचमनीय, 6. स्नान, 7. वस्त्र, 8. यज्ञोपवीत, 9. गंध, 10. पुष्प (दूर्वा), 11. धूप, 12. दीप, 13. नेवैद्य, 14. तांबूल (पान), 15. प्रदक्षिणा, 16. पुष्‍पांजलि।
 
आइए जानें पूजन विधि और मंत्र-Vinayaki Chaturthi Puja Vidhi 
 
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें। अब गंगाजल छिड़कें और पूरे स्थान को पवित्र करें। इसके बाद गणपति को फूल की मदद से जल अर्पण करें। इसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं। अब लाल रंग का पुष्प, जनेऊ, दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची चढ़ाएं। इसके बाद नारियल और भोग में मोदक अर्पित करें। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें। 
 
- अंगारकी चतुर्थी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्वयं शुद्ध होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। 
 
- इसके बाद पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठें। 
 
- गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। 
 
- 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र जाप के साथ गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
 
- गंगाजल छिड़क कर उक्त स्थान को पवित्र करें। 
 
- निम्न मंत्र द्वारा गणेश जी का ध्यान करें। 
 
* वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
 
* 'खर्वं स्थूलतनुं गजेंन्द्रवदनं लंबोदरं सुंदरं
प्रस्यन्दन्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्
दंताघातविदारितारिरूधिरै: सिंदूर शोभाकरं 
वंदे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम।'
 
- इसके बाद श्री गणेश को पुष्प की मदद से जल अर्पण करें। 
 
- रोली, अक्षत, लाल रंग के पुष्प, जनेऊ, दूब, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ा दें। 
 
- श्रीफल और मोदक का भोग अर्पित करें। 
 
- अब श्री गणेश जी को दक्षिणा अर्पित करके 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। 
 
- तत्पश्चात धूप, दीपक और अगरबत्‍ती जलाएं तथा श्री गणेश की आरती करें। 
 
इसके बाद श्री गणेश मंत्रों का तथा उनके 12 नामों का जाप करें। 
 
गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।।
विनायकश्चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।।
विश्वं तस्य भवे नित्यं न च विघ्नमं भवेद् क्वचिद्।
 
- मंत्र-Vinayaki Chaturthi Mantra
 
'सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:
लंबोदरश्‍च विकटो विघ्ननाशो विनायक: 
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचंद्रो गजानन:
द्वादशैतानि नामानि य: पठेच्छृणयादपि 
विद्यारंभे विवाहे च प्रवेशे निर्गमें तथा संग्रामेसंकटेश्चैव विघ्नस्तस्य न जायते'
 
- चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें। 
 
गणेश पूजन की सावधानियां-Vinayaki Chaturthi Vrat ki Savdhaniya
 
- गणेश जी को पवित्र फूल ही चढ़ाया जाना चाहिए।
 
- जो फूल बासी हो, अधखिला हो, कीड़ेयुक्त हो वह गणेशजी को कतई न चढ़ाएं।
 
- गणेश जी को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता है।
 
- दूर्वा से गणेश देवता पर जल चढ़ाना पाप माना जाता है। 
 
- यदि पूजा में कोई विशिष्‍ट उपलब्धि की आशा हो तो लाल वस्त्र एवं लाल चंदन का प्रयोग करें।
 
- पूजा सिर्फ मन की शांति और संतान की प्रगति के लिए हो तो सफेद या पीले वस्त्र धारण करें। सफेद चंदन का प्रयोग करें।

Ganesha Mantra

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