बछ बारस या गोवत्स द्वादशी के दिन पुत्रवती महिलाएं गाय व बछड़ों का पूजन करती हैं। यदि किसी के घर गाय-बछड़े न हो, तो वह दूसरे की गाय-बछड़े का पूजन करें। यदि घर के आसपास गाय-बछड़ा न मिले, तो गीली मिट्टी से गाय-बछड़े की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा करें। उन पर दही, भीगा बाजरा, आटा, घी आदि चढ़ाकर कुमकुम से तिलक करें, तत्पश्चात दूध और चावल चढ़ाएं। इस दिन गौ माता को चारा अवश्य ही खिलाएं, माना जाता है कि सारे यज्ञ करने से जो पुण्य मिलता है और सारे तीर्थ नहाने का जो फल प्राप्त होता है, वह फल बछ बारस के दिन गाय की सेवा, पूजन और चारा डालने मात्र से सहज ही प्राप्त हो जाता है।